सूर्याङ्क – कल्याण/ Suryanka – Kalyan

260.00

Description

जीवन में भगत्प्रेम, सेवा, त्याग, वैराग्य, सत्य, अहिंसा, विनय, प्रेम, उदारता, दानशीलता, दया, धर्म, नीति, सदाचार और शान्ति का प्रकाश भर देने वाली सरल, सुरुचिपूर्ण, सत्प्रेरणादायी छोटी-छोटी सत्कथाओं का संकलन कल्याण का यह विशेषांक सर्वदा अपने पास रखने योग्य है।

भगवत्कृपा से कल्याण का प्रकाशन ईस्वी सन 1926 से लगातार हो रहा है। इस पत्रिका के आद्य संपादक नित्यलीलालीन भाईजी श्री हनुमान प्रसाद जी पोद्दार थे। कल्याण के प्रथम अंक में प्रकाशित संपादकीय वक्तव्य पठन सामग्री में उधृत है।

भगवान सूर्य एक पूर्ण भगवान हैं। वह सभी देवताओं का वास है। सूर्य की पूजा और ध्यान सभी करते हैं। इस खंड में वेदों, पुराणों, उपनिषदों और रामायण में मौजूद संदर्भों के साथ सूर्य-तत्त्व पर संतों और सिद्ध आत्माओं द्वारा लिखे गए विद्वानों के लेखों के साथ-साथ भगवान सूर्य द्वारा खेले जाने वाले दिव्य खेलों का विशद वर्णन है। पुस्तक में दुनिया भर में प्रचलित सूर्य पूजा के विभिन्न साधन और भजन भी शामिल हैं । सूर्योपासना के विविध रूप तथा सूर्य-लीला का विवरण किया गया है।

Additional information

Weight 1 kg

Reviews

There are no reviews yet.

Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.