सुख सागर/Sukh Sagar

750.00

सुख सागर, श्रीमद्भागवत महापुराण की एक कथा है. यह कथा व्यासपुत्र शुकदेव जी ने महाराज परीक्षित को सुनाई थी. यह पुस्तक हिन्दी भाषा में लिखी गई है. इसमें मुख्य रूप से भक्ति की प्रधानता है. यह पुस्तक कृष्ण भक्तों के लिए आराधना का साधन है.
सुख सागर की खासियतें:
यह पुस्तक भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति पर आधारित है.
इसमें भगवान श्रीकृष्ण को भगवान सिद्ध किया गया है.
इसमें भगवान श्रीकृष्ण के 24 अवतारों की कथा है.
यह पुस्तक मोक्षदायी है.
इसकी भाषा-शैली बहुत ही साधारण है.
श्रीमद्भागवत महापुराण मूल रूप से संस्कृत में लिखा गया है. संस्कृत भाषा में प्रवाह के लिए एक विशेष परंपरा से शिक्षा की ज़रूरत होती है. इसीलिए, विद्वान महापुरुषों ने हिन्दी भाषी लोगों के लिए सुख सागर की रचना की.

Description

सुख सागर, श्रीमद्भागवत महापुराण की एक कथा है. यह कथा व्यासपुत्र शुकदेव जी ने महाराज परीक्षित को सुनाई थी. यह पुस्तक हिन्दी भाषा में लिखी गई है. इसमें मुख्य रूप से भक्ति की प्रधानता है. यह पुस्तक कृष्ण भक्तों के लिए आराधना का साधन है.
सुख सागर की खासियतें:
यह पुस्तक भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति पर आधारित है.
इसमें भगवान श्रीकृष्ण को भगवान सिद्ध किया गया है.
इसमें भगवान श्रीकृष्ण के 24 अवतारों की कथा है.
यह पुस्तक मोक्षदायी है.
इसकी भाषा-शैली बहुत ही साधारण है.
श्रीमद्भागवत महापुराण मूल रूप से संस्कृत में लिखा गया है. संस्कृत भाषा में प्रवाह के लिए एक विशेष परंपरा से शिक्षा की ज़रूरत होती है. इसीलिए, विद्वान महापुरुषों ने हिन्दी भाषी लोगों के लिए सुख सागर की रचना की.

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