Description
मनुष्य जब तक दूसरे व्यक्ति, वस्तु, परिस्थिति, स्थान में सुख और शान्ति की तलाश करने का प्रयास करता है तब तक उसके हाथ दैन्य, निराशा और विषाद ही लगता है। वास्तविक सुख-शान्ति प्रभु की भक्ति तथा प्राप्ति में ही है। इस पुस्तक में भक्ति और उसकी प्राप्ति के विभिन्न आयामों की विस्तृत चर्चा की गयी है।
अगर आप जीवन में सुख-शांति और आनंद प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको ईश्वर का सुमिरन करते हुए सचाई के मार्ग पर चलना होगा। जीवन की प्रत्येक अवस्था या परिस्थिति को उसी परम पिता परमेश्वर की मर्जी समझकर स्वीकार करना होगा। फिर आप देखेंगे कि आपका जीवन सुखमय हो गया है। आप विपरीत परिस्थितियों का भी आसानी से सामना करने लगते हैं।
Additional information
Weight | 0.2 g |
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