सुखी बनो/ Sukhi Bano

30.00

“सुखी बनो” एक आध्यात्मिक, नैतिक और आत्मविकास से परिपूर्ण प्रेरणादायक पुस्तक है, जिसे गीता प्रेस के संस्थापक पुरुषों में से एक, पूज्य हनुमान प्रसाद पोद्दार जी ने लिखा है। इस पुस्तक में व्यक्ति को “सच्चे सुख” के रहस्य से परिचित कराया गया है—जो बाह्य साधनों से नहीं, बल्कि अंतःकरण की निर्मलता, सद्भावना, ईश्वरप्रेम, और धर्ममय जीवन से प्राप्त होता है।

यह पुस्तक जीवन की उन सूक्ष्म बातों को सरल भाषा में उद्घाटित करती है जिन्हें हम प्रतिदिन अनुभव तो करते हैं, लेकिन अक्सर उपेक्षित कर देते हैं।


🔑 पुस्तक की मूल भावना:

सुखी बनो” एक आशीर्वाद की तरह है—केवल शब्द नहीं, बल्कि आत्मा से निकला एक सन्देश। इस पुस्तक में बताया गया है कि:

  • सुख संपत्ति, भोग, पद या बाहरी वैभव में नहीं है।

  • वास्तविक सुख है मन की शांति, संतोष, सकारात्मक दृष्टिकोण और ईश्वर में विश्वास

  • यह पुस्तक बताती है कि कैसे एक सामान्य व्यक्ति भी, अपनी सोच और जीवन शैली में छोटे-छोटे बदलाव कर के सदैव सुखी और शांतिमय जीवन जी सकता है।


📖 मुख्य विषय-वस्तु और विचारधाराएँ:

1. मन की दशा और दृष्टिकोण का प्रभाव

  • सुख या दुःख हमारी मानसिक स्थिति से उत्पन्न होते हैं।

  • मन यदि नियंत्रित और संतुलित हो, तो जीवन के कठिन दौर भी सहज हो जाते हैं।

2. संतोष: सुख का मूल आधार

  • जो मिला है, उसमें प्रसन्न रहना—यह सबसे बड़ी पूँजी है।

  • लोभ, ईर्ष्या और असंतोष जीवन का विष है।

3. कर्तव्यपालन और निष्काम कर्म

  • अपने कर्तव्यों को परमात्मा के अर्पण भाव से करना।

  • फल की चिंता न करते हुए सेवा भाव से कर्म करना सुख की कुंजी है।

4. ईश्वरभक्ति और आत्म-संपर्क

  • जीवन में सच्चा सुख केवल ईश्वर की शरण में ही संभव है।

  • भक्ति, जप, ध्यान, सत्संग और धार्मिक अध्ययन से अंतःकरण शांत और निर्मल बनता है।

5. मोह, माया और वासनाओं से मुक्ति

  • सुख की राह में मोह और विषय-वासनाएँ सबसे बड़ा बंधन हैं।

  • इनसे मुक्त होकर ही आत्मा के स्तर पर सुख का अनुभव किया जा सकता है।

6. सच्चे सुखी कौन हैं?

  • जो दूसरों की सेवा करके हर्षित होते हैं।

  • जो लेने में नहीं, देने में विश्वास रखते हैं।

  • जो विपत्ति में भी धैर्य और आस्था रखते हैं।


🌷 भाषा एवं शैली:

  • भाषा अत्यंत सरल, प्रेरणादायक और हृदयस्पर्शी है।

  • उदाहरणों और उपदेशों को सहज बोधगम्य शैली में प्रस्तुत किया गया है।

  • ऐसा लगता है जैसे कोई सज्जन और अनुभवी बुज़ुर्ग मन से आशीर्वाद दे रहा हो


🎯 पुस्तक क्यों पढ़ें?

  • यदि आप मन की अशांति, असंतोष, या जीवन में निरर्थकता महसूस कर रहे हैं—यह पुस्तक आपको नवचेतना, आशा, और सकारात्मक दृष्टिकोण दे सकती है।

  • यह किसी धर्म, वर्ग या आयु के बंधन में नहीं है—हर व्यक्ति के लिए उपयोगी है जो जीवन को सार्थक और सुखद बनाना चाहता है।

  • छात्र, गृहस्थ, साधक, सेवानिवृत्त, कर्मी, व्यवसायी, साधु — सभी इसके पाठ से लाभान्वित हो सकते हैं।                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                    “सुखी बनो कोई साधारण पुस्तक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जीवन की चाबी है। यह पुस्तक हमें भीतर झाँकने की प्रेरणा देती है और बताती है कि सच्चा सुख ना कहीं बाहर है, ना भविष्य में—बल्कि हमारे अपने हृदय में है। इस पुस्तक का प्रत्येक पृष्ठ सच्ची मुस्कान और आत्मिक शांति की ओर एक कदम है।

Description

“सुखी बनो” एक आध्यात्मिक, नैतिक और आत्मविकास से परिपूर्ण प्रेरणादायक पुस्तक है, जिसे गीता प्रेस के संस्थापक पुरुषों में से एक, पूज्य हनुमान प्रसाद पोद्दार जी ने लिखा है। इस पुस्तक में व्यक्ति को “सच्चे सुख” के रहस्य से परिचित कराया गया है—जो बाह्य साधनों से नहीं, बल्कि अंतःकरण की निर्मलता, सद्भावना, ईश्वरप्रेम, और धर्ममय जीवन से प्राप्त होता है।

यह पुस्तक जीवन की उन सूक्ष्म बातों को सरल भाषा में उद्घाटित करती है जिन्हें हम प्रतिदिन अनुभव तो करते हैं, लेकिन अक्सर उपेक्षित कर देते हैं।


🔑 पुस्तक की मूल भावना:

सुखी बनो” एक आशीर्वाद की तरह है—केवल शब्द नहीं, बल्कि आत्मा से निकला एक सन्देश। इस पुस्तक में बताया गया है कि:

  • सुख संपत्ति, भोग, पद या बाहरी वैभव में नहीं है।

  • वास्तविक सुख है मन की शांति, संतोष, सकारात्मक दृष्टिकोण और ईश्वर में विश्वास

  • यह पुस्तक बताती है कि कैसे एक सामान्य व्यक्ति भी, अपनी सोच और जीवन शैली में छोटे-छोटे बदलाव कर के सदैव सुखी और शांतिमय जीवन जी सकता है।


📖 मुख्य विषय-वस्तु और विचारधाराएँ:

1. मन की दशा और दृष्टिकोण का प्रभाव

  • सुख या दुःख हमारी मानसिक स्थिति से उत्पन्न होते हैं।

  • मन यदि नियंत्रित और संतुलित हो, तो जीवन के कठिन दौर भी सहज हो जाते हैं।

2. संतोष: सुख का मूल आधार

  • जो मिला है, उसमें प्रसन्न रहना—यह सबसे बड़ी पूँजी है।

  • लोभ, ईर्ष्या और असंतोष जीवन का विष है।

3. कर्तव्यपालन और निष्काम कर्म

  • अपने कर्तव्यों को परमात्मा के अर्पण भाव से करना।

  • फल की चिंता न करते हुए सेवा भाव से कर्म करना सुख की कुंजी है।

4. ईश्वरभक्ति और आत्म-संपर्क

  • जीवन में सच्चा सुख केवल ईश्वर की शरण में ही संभव है।

  • भक्ति, जप, ध्यान, सत्संग और धार्मिक अध्ययन से अंतःकरण शांत और निर्मल बनता है।

5. मोह, माया और वासनाओं से मुक्ति

  • सुख की राह में मोह और विषय-वासनाएँ सबसे बड़ा बंधन हैं।

  • इनसे मुक्त होकर ही आत्मा के स्तर पर सुख का अनुभव किया जा सकता है।

6. सच्चे सुखी कौन हैं?

  • जो दूसरों की सेवा करके हर्षित होते हैं।

  • जो लेने में नहीं, देने में विश्वास रखते हैं।

  • जो विपत्ति में भी धैर्य और आस्था रखते हैं।


🌷 भाषा एवं शैली:

  • भाषा अत्यंत सरल, प्रेरणादायक और हृदयस्पर्शी है।

  • उदाहरणों और उपदेशों को सहज बोधगम्य शैली में प्रस्तुत किया गया है।

  • ऐसा लगता है जैसे कोई सज्जन और अनुभवी बुज़ुर्ग मन से आशीर्वाद दे रहा हो


🎯 पुस्तक क्यों पढ़ें?

  • यदि आप मन की अशांति, असंतोष, या जीवन में निरर्थकता महसूस कर रहे हैं—यह पुस्तक आपको नवचेतना, आशा, और सकारात्मक दृष्टिकोण दे सकती है।

  • यह किसी धर्म, वर्ग या आयु के बंधन में नहीं है—हर व्यक्ति के लिए उपयोगी है जो जीवन को सार्थक और सुखद बनाना चाहता है।

  • छात्र, गृहस्थ, साधक, सेवानिवृत्त, कर्मी, व्यवसायी, साधु — सभी इसके पाठ से लाभान्वित हो सकते हैं।                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                    “सुखी बनो कोई साधारण पुस्तक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जीवन की चाबी है। यह पुस्तक हमें भीतर झाँकने की प्रेरणा देती है और बताती है कि सच्चा सुख ना कहीं बाहर है, ना भविष्य में—बल्कि हमारे अपने हृदय में है। इस पुस्तक का प्रत्येक पृष्ठ सच्ची मुस्कान और आत्मिक शांति की ओर एक कदम है।

Additional information

Weight 0.3 g

1 review for सुखी बनो/ Sukhi Bano

  1. Code of your destiny

    I’m really inspired together with your writing talents as smartly as with the structure on your blog. Is that this a paid theme or did you customize it yourself? Either way stay up the excellent quality writing, it’s rare to look a great blog like this one these days!

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