सरल वास्तुशास्त्र/Saral Vastusastra

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आज के युग में हमारे सम्मुख वास्तुशास्त्र कंजो स्वरूप है ,इसे इस रूप में आने हेतु अत्यंत लंबी दुरी तय करनी पड़ी | यह दुरी हमारे ऋषि मुनियों साधन से आरम्भ होकर २१ वीं सदी में भारतीय तथा वास्तुविदों के शोधो तक ही है वास्तुशास्त्र के सिंद्धातो का व्याख्यान सबसे पहले ‘ऋग्वेद’ के सूत्रों में किया गया | चारो वेदों के पहले चार उपवेद भी लिखे गए | इन उपवेदों में एक ‘स्थापत्य वेद ‘ भी है | कालान्तर में यह स्थापत्य वेद ही ‘वास्तुशास्त्र’के रूप में विकसित हुआ है

Description

आज के युग में हमारे सम्मुख वास्तुशास्त्र कंजो स्वरूप है ,इसे इस रूप में आने हेतु अत्यंत लंबी दुरी तय करनी पड़ी | यह दुरी हमारे ऋषि मुनियों साधन से आरम्भ होकर २१ वीं सदी में भारतीय तथा वास्तुविदों के शोधो तक ही है वास्तुशास्त्र के सिंद्धातो का व्याख्यान सबसे पहले ‘ऋग्वेद’ के सूत्रों में किया गया | चारो वेदों के पहले चार उपवेद भी लिखे गए | इन उपवेदों में एक ‘स्थापत्य वेद ‘ भी है | कालान्तर में यह स्थापत्य वेद ही ‘वास्तुशास्त्र’के रूप में विकसित हुआ है

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