Description
प्रस्तुत पुस्तक ‘सब साधनों का सार’ भी इसी तरह की पुस्तक है, जो प्रत्येक मार्ग के साधक के लिये अत्यन्त उपयोगी है। सार बात हाथ लग जाय तो फिर सब साधन सुगम हो जाते हैं। परन्तु साधक का उद्देश्य अनुभव करने का होना चाहिए, कोरी बातें सीखने और दूसरों को सुनाने का नहीं। सीखा हुआ ज्ञान अभिमान बढ़ाने के सिवाय और कुछ काम नहीं आता।
श्रद्धेय स्वामी श्रीरामसुखदासजी महाराजके द्वारा प्रणीत इस पुस्तकमें सब साधनोंका सार, अपना किसे मानें?, सच्ची बात, कल्याणका निश्चित उपाय आदि बारह शीर्षकोंके माध्यमसे साधनाके गम्भीर रहस्योंका सुन्दर प्रतिपादन किया गया है।
Additional information
Weight | 0.4 g |
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