सत्संग के बिखरे मोतीSatsang ke Bikhre Moti

30.00

जिस प्रकार अग्निमे दाहिका शक्ति स्वाभाविक हैं, उसी प्रकार भगवाननाम पापको-विषय-प्रपंच मय जगत के मोहको जला डालने की शक्ति स्वाभाविक हैं। इसमें भाव की आवश्यकता नहीं है

Description

जिस प्रकार अग्निमे दाहिका शक्ति स्वाभाविक हैं, उसी प्रकार भगवाननाम पापको-विषय-प्रपंच मय जगत के मोहको जला डालने की शक्ति स्वाभाविक हैं। इसमें भाव की आवश्यकता नहीं है

 

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