सत्संग के फूल/ Satsang ke Phool

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यह पुस्तक स्वामी रामसुखदास द्वारा लिखी गई है। यह पुस्तक बाध्यकारी पेपरबैक है। पुस्तक प्रकाशक गीता प्रेस-गोरखपुर है। प्रथम संस्करण पुस्तक। इस पुस्तक के पृष्ठों की संख्या 192 है। यह पुस्तक हिन्दी भाषा में लिखी गई है। यह एक धार्मिक ग्रंथ है।

इस पुस्तक में स्वामी श्री रामसुखदास जी के प्रवचनों का एक अनुपम संग्रह है।

Description

“सत्संग के फूल” पुस्तक स्वामी रामसुखदास जी महाराज द्वारा दिए गए सत्संग-प्रवचनों का एक सुगंधित संग्रह है, जिसमें जीवन के विविध पहलुओं पर आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत सरल, सहज और हृदयस्पर्शी ढंग से विचार प्रस्तुत किए गए हैं। यह पुस्तक एक फूलों की माला की तरह है, जिसमें हर प्रवचन एक पुष्प के समान है — सुंदर, सौम्य, सुगंधित और जीवन को पवित्रता की ओर ले जाने वाला।


🌼 मुख्य विषयवस्तु:

  • सत्संग का महत्व: जीवन में सत्संग क्यों आवश्यक है, और इसके प्रभाव से मनुष्य में कैसी दिव्यता आती है।

  • धर्म और व्यवहार: धर्म के वास्तविक स्वरूप को सरल भाषा में स्पष्ट किया गया है, जिसे सामान्य गृहस्थ भी अपने जीवन में उतार सके।

  • संस्कार, संयम और साधना: जीवन में संयम और सादगी का महत्व, और साधना के सहज उपाय।

  • प्रेम, श्रद्धा और भक्ति: भगवान के प्रति प्रेम कैसे जागृत हो, श्रद्धा कैसे दृढ़ हो — इन विषयों पर सुंदर चर्चा।

  • विचारों की पवित्रता: मन, वाणी और कर्म की शुद्धता पर बल।


🌷 पुस्तक की विशेषताएँ:

  • छोटे-छोटे अध्याय: हर अध्याय एक स्वतंत्र सत्संग के समान है, जिसे किसी भी क्रम में पढ़ा जा सकता है।

  • सरल भाषा: जटिल शास्त्रीय विषयों को भी सहज, हृदयग्राही भाषा में प्रस्तुत किया गया है।

  • जीवनोपयोगी शिक्षाएं: गृहस्थ, साधक, विद्यार्थी – हर वर्ग के लिए उपयोगी शिक्षाएँ।


🌿 पाठकों के लिए उपयोगिता:

  • सत्संग का अनुभव घर बैठे करना चाहते हैं।

  • जीवन में संतुलन, शांति और आध्यात्मिकता लाना चाहते हैं।

  • जो गीता, भागवत या संतवाणी से जुड़ने की शुरुआत करना चाहते हैं।


“सत्संग के फूल” वास्तव में एक आध्यात्मिक पुष्पवाटिका है, जिसमें प्रवेश करके पाठक अपने जीवन को सुगंधित, पवित्र और उन्नत बना सकता है। यह पुस्तक एक दिन में नहीं, धीरे-धीरे, ध्यानपूर्वक पढ़ने योग्य है — जैसे कोई फूलों की खुशबू को धीरे-धीरे ग्रहण करे।

Additional information

Weight 0.2 g

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