सखियों के श्याम/ Sakhiyon ke Shyam

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साखिया के श्याम श्री ठाकुर जी की महती अनुकम्पासे डीटीए संस्कार आपके हाथोमे हे पूर्वमे इस लीला गृंथो रसिक भगवत्प्रेमियो बड़ा आदर दिया हे इसके पठनसे लीला चिंतन लगता हे इसके पड़नेवालो प्रेमी जान इसका सूयम अनुभव

“सखियों के श्याम” शब्दों का अर्थ होता है “दोस्तों का कृष्ण”। यह एक प्रसिद्ध वाणी या कविता का शीर्षक हो सकता है, जो कृष्ण भगवान के गोपियों या सखियों के प्रेम और उनकी श्रद्धा को व्यक्त करता है। गोपियाँ कृष्ण के भक्तिभाव से प्रेरित होती हैं और उनके साथ उनके प्रिय श्याम के लिए खेलती, नृत्य करती, और उनके साथ आनंद मनाती हैं।

“सखियों के श्याम” विभिन्न रूपों में उपस्थित हो सकता है, जैसे कि गीत, कविता, या नृत्य के रूप में। यह एक आध्यात्मिक अनुभव का व्यक्तिगत अवतार हो सकता है, जिसमें भक्त अपनी आत्मा के साथ एकता महसूस करता है और दिव्य प्रेम के अनुभव को साझा करता है।

गोपियों के श्याम की चित्रण उनके भक्ति और प्रेम के साथ उनके आनंदपूर्ण जीवन को प्रकट करता है, जिसमें वे कृष्ण के साथ खेलते, नृत्य करते, और उनके साथ अनुभव का आनंद लेते हैं। इसके माध्यम से, भक्त अपने भगवान के साथ नित्य संवाद का अनुभव करते हैं और उनकी दिव्य लीलाओं में समाहित होते हैं।

Description

साखिया के श्याम श्री ठाकुर जी की महती अनुकम्पासे डीटीए संस्कार आपके हाथोमे हे पूर्वमे इस लीला गृंथो रसिक भगवत्प्रेमियो बड़ा आदर दिया हे इसके पठनसे लीला चिंतन लगता हे इसके पड़नेवालो प्रेमी जान इसका सूयम अनुभव

“सखियों के श्याम” शब्दों का अर्थ होता है “दोस्तों का कृष्ण”। यह एक प्रसिद्ध वाणी या कविता का शीर्षक हो सकता है, जो कृष्ण भगवान के गोपियों या सखियों के प्रेम और उनकी श्रद्धा को व्यक्त करता है। गोपियाँ कृष्ण के भक्तिभाव से प्रेरित होती हैं और उनके साथ उनके प्रिय श्याम के लिए खेलती, नृत्य करती, और उनके साथ आनंद मनाती हैं।

“सखियों के श्याम” विभिन्न रूपों में उपस्थित हो सकता है, जैसे कि गीत, कविता, या नृत्य के रूप में। यह एक आध्यात्मिक अनुभव का व्यक्तिगत अवतार हो सकता है, जिसमें भक्त अपनी आत्मा के साथ एकता महसूस करता है और दिव्य प्रेम के अनुभव को साझा करता है।

गोपियों के श्याम की चित्रण उनके भक्ति और प्रेम के साथ उनके आनंदपूर्ण जीवन को प्रकट करता है, जिसमें वे कृष्ण के साथ खेलते, नृत्य करते, और उनके साथ अनुभव का आनंद लेते हैं। इसके माध्यम से, भक्त अपने भगवान के साथ नित्य संवाद का अनुभव करते हैं और उनकी दिव्य लीलाओं में समाहित होते हैं।

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