Description
“श्री राधा रस” एक भक्ति ग्रंथ है जो भगवान श्री कृष्ण की परम प्रेमिका, श्रीमती राधारानी के प्रति प्रेम और उनकी अनन्य भक्ति को समर्पित है। यह ग्रंथ उनके प्रेम और भक्ति की गहराई को वर्णित करता है और उनके प्रेम की महिमा का गान करता है।
“श्री राधा रस” का लेखक श्रीमद्भागवतमहापुराण के महान कवि जयदेव थे, जो संस्कृत साहित्य के प्रसिद्ध महाकवि थे। इस ग्रंथ में उन्होंने श्रीमती राधारानी के प्रेम की अद्वितीयता और भक्ति की अद्वितीयता को वर्णित किया है।
“श्री राधा रस” में राधारानी के प्रेम के विभिन्न रूप, भावनाएं, और प्रेम का प्रकटीकरण किया गया है। इस ग्रंथ के द्वारा भक्तों को राधारानी के प्रेम के अद्वितीय रस का अनुभव होता है, जो उनके अनन्य भक्त कृष्ण को प्राप्त करने के लिए अपने अंतर में प्रयास करते हैं।
“श्री राधा रस” में रचित श्लोकों और भजनों का पाठ भक्तों को आत्मिक उन्नति और कृष्ण भक्ति में समर्पण की भावना से युक्त करता है। इस ग्रंथ के पाठ से भक्तों का मन श्रीमती राधारानी के प्रेम और उनके आद्यात्मिक गुणों के प्रति प्रेरित होता है।
मेरी भव बाधा हरो राधा नागरी सोये जा तन की झाई
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