Description
निगम अगोचर बात कहा कहौं अतिहि अनौखी |
उभय मीट की प्रीति -रीती चोखी ते चोखी ||
वृंदावन छवि देखि -देखि हुल्स्ट हुलसावत |
जल -तरंगवत गौर -श्याम विलसत विलसावत | |
ललितादिक निज सहचरी , निरखि -निरखि बलि जात नित |
चौरासी हिट पद कहे , चतुरन कौ यह परम वित | |
Reviews
There are no reviews yet.