श्री रामचरित मानस- सुन्दरकाण्ड (मूल)/ Shree Ramcharit Manas- Sundarkand (Mool)

35.00

“श्री रामचरितमानस-सुन्दरकाण्ड” भगवान श्री रामचंद्र जी की महाकाव्य “श्री रामचरितमानस” का एक अध्याय है जो वाल्मीकि रामायण के “सुन्दरकाण्ड” के आधार पर लिखा गया है। इस अध्याय में मुख्य रूप से हनुमान जी का कार्यक्रम वर्णित है, जो लंका जाकर माता सीता का पता लगाने और उन्हें श्री राम की संदेश पहुँचाने के लिए किया गया था।

“सुन्दरकाण्ड” का अनुवाद और टीका कुछ विशेष प्रशंसा पाता है, और “श्री रामचरितमानस-सुन्दरकाण्ड (सटिक)” एक ऐसा संस्करण है जिसमें इस अध्याय का संक्षेपित संग्रह होता है। यह संस्करण साधारणत: सुन्दरकाण्ड की मुख्य कथा और महत्त्वपूर्ण घटनाओं को संक्षेप में प्रस्तुत करता है।

“सुन्दरकाण्ड” में हनुमान जी की महान कार्यशीलता, भक्ति, और साहस का वर्णन होता है, जो भगवान श्री राम के परम भक्त थे। इस अध्याय के पाठ से भक्त अपने जीवन में साहस, धैर्य, और भक्ति की प्रेरणा प्राप्त करते हैं, और श्री राम के भक्तों के रूप में समर्पित होते हैं।

Description

“श्री रामचरितमानस-सुन्दरकाण्ड” भगवान श्री रामचंद्र जी की महाकाव्य “श्री रामचरितमानस” का एक अध्याय है जो वाल्मीकि रामायण के “सुन्दरकाण्ड” के आधार पर लिखा गया है। इस अध्याय में मुख्य रूप से हनुमान जी का कार्यक्रम वर्णित है, जो लंका जाकर माता सीता का पता लगाने और उन्हें श्री राम की संदेश पहुँचाने के लिए किया गया था।

“सुन्दरकाण्ड” का अनुवाद और टीका कुछ विशेष प्रशंसा पाता है, और “श्री रामचरितमानस-सुन्दरकाण्ड (सटिक)” एक ऐसा संस्करण है जिसमें इस अध्याय का संक्षेपित संग्रह होता है। यह संस्करण साधारणत: सुन्दरकाण्ड की मुख्य कथा और महत्त्वपूर्ण घटनाओं को संक्षेप में प्रस्तुत करता है।

“सुन्दरकाण्ड” में हनुमान जी की महान कार्यशीलता, भक्ति, और साहस का वर्णन होता है, जो भगवान श्री राम के परम भक्त थे। इस अध्याय के पाठ से भक्त अपने जीवन में साहस, धैर्य, और भक्ति की प्रेरणा प्राप्त करते हैं, और श्री राम के भक्तों के रूप में समर्पित होते हैं।

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