श्री रामचरितमानस -सुंदरकांड (मूल) श्री हनुमान चालीसा शाहित Shri Ramcharirtmanas -Sundarakand

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Description

श्री रामचरितमानस सुंदरकांड (मूल) श्री हनुमान चालीसा शाहितवाल्मीकि रामायण दुनिया की सबसे उल्लेखनीय क्लासिक्स में से एक है और अपनी नैतिक अपील में सभी को उत्कृष्ट बनाती है। यह सभी के लिए सबक से भरा है और स्वस्थ साहित्य के सभी प्रेमियों द्वारा रुचि और लाभ के साथ पढ़ने के योग्य है। यह अपनी काव्य उत्कृष्टता के लिए विख्यात है

त्रेतायुग में महर्षि वाल्मीकि के श्रीमुख से साक्षात वेदों का ही श्रीमद्रामायण रूप में प्राकट्य हुआ, ऐसी आस्तिक जगत की मान्यता है। अतः श्रीमद्रामायण को वेदतुल्य प्रतिष्ठा प्राप्त है। धराधाम का आदिकाव्य होनेसे इसमें भगवान के लोकपावन चरित्र की सर्वप्रथम वाङ्मयी परिक्रमा है। इसके एक-एक श्लोक में भगवान के दिव्य गुण, सत्य, सौहार्द्र, दया, क्षमा, मृदुता, धीरता, गम्भीरता, ज्ञान, पराक्रम, प्रज्ञा-रंजकता, गुरुभक्ति, मैत्री, करुणा, शरणागत-वत्सलता जैसे अनन्त पुष्पोंकी दिव्य सुगन्ध है। प्रस्तुत पुस्तक में श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण के सुन्दरकाण्ड का हिंदी टीका के साथ प्रकाशन किया गया है

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