Description
श्री नागरीदास जी की वाणी
प्रस्तुत वाणी के रचियता श्रीनगरीदासजी इसी कोटि के भक्त कवि थे, यह उनकी वाणी है के त्रावलोकन से स्पष्ट हो जाता है प्रेमी भक्तो की जीवन गाथा भी साधक के मार्ग का एक बहुत बड़ा सम्बल है | जिस प्रकार उपासक का घनिष्ठ सम्बन्ध अपने उपास्य से है उसी प्रकार भक्त गाथा का घनिष्ठ भक्तवत्सल प्रभु की लीला से है |
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