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श्रीहित राधिकाचरणदासजी ‘ढोंगी बाबा ‘ की वाणी (द्वितीय खण्ड) / Shri Hita Radhikacharandas ji ‘Dhongi Baba’ Ki Vani- Part-2
सम्पादक- हितजसअलीशरण
रस मूर्ति श्यामा श्याम की नित्य लीलास्थली वृंदावन ने भारतीय लोक मानस को सदैव आकर्षित किया है। एक बार जिसने भी वृंदावन रस का आस्वादन किया वह सदा-सदा के लिए वृंदावन का हो गया।
ये गोस्वामी श्रीहित हरिवंशोदित रसोपासना के ऐसे रत्न थे। जिन्होन आपने संपूर्ण जीवन में “नाम-वाणी निकट श्यामा श्याम प्रकट” सेवकवाणी के है ध्येय बाक्य को सार्थक कर दिखाया
श्रीराधिकाचरणदासजी की वाणी-सेवा ने इनके परिकर को भी एक नवीन जीवन सेली प्रदान की जो की वाणी को ही स्वेस्ट का साक्षात स्वरूप मानने बाली परम्परा के रूप में लोक प्रत्यक्ष हुई।
आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है की श्रीहितराधिकाचरणदासजी ‘ढोंगी बाबा’ की वाणी का यह दूसरा खंड वृंदावन रस प्रेमी शुद्धिजानोको श्रीराधाकृष्ण की रासलीला से साक्षात्कर कराते हुए उन्हे रसभक्ति-धारा मैं सरबोर करेगा।
आज भी स्वरचित वाणी-वपु से वे हित तत्व के अप्रियतम ज्ञाता और नित्यविहार रस के उदगाता बनकर रसिक समाज को रस-सराबोर कर रहैं हैं और करते रहेगें।
इस वाणी रूपी वाटिका में रस-ग्राही अनन्य भ्रमरो के लिए बहुत कुछ है।
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