Description
“Sri Ramakrishna Vachanamrita
📘 Overview:
“Sri Ramakrishna Vachanamrita” (also known as “The Gospel of Sri Ramakrishna” in English) is a spiritually profound text documenting the divine conversations, teachings, and daily interactions of Sri Ramakrishna Paramahamsa. These conversations were meticulously recorded by Mahendranath Gupta, a householder disciple who wrote under the pseudonym “M.”
The work is divided into several parts, and the Chaturtha Bhag (Fourth Part) captures some of the most mature and deeply spiritual teachings of Sri Ramakrishna, often delivered during his final days, when he was battling throat cancer yet remained immersed in divine consciousness.
“श्रीरामकृष्ण वचनामृत – प्रसंग: चतुर्थ भाग” एक अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो श्रीरामकृष्ण परमहंस के उपदेशों, शिक्षाओं और उनके भक्तों के साथ हुए संवादों का संग्रह है। यह ग्रंथ महेंद्रनाथ गुप्त (म. / “मास्टर महाशय”) द्वारा लिखित है, जिन्होंने इन प्रसंगों को प्रत्यक्ष रूप से सुना और लिपिबद्ध किया। इसे बांग्ला में “कठामृत” कहा जाता है, और हिंदी में इसका अनुवाद “वचनामृत” के रूप में किया गया है।
🔹 वचनामृत – प्रसंग चतुर्थ भाग (संक्षिप्त विवरण हिंदी में):
चतुर्थ भाग में श्रीरामकृष्ण के जीवन के बाद के चरणों के उपदेश शामिल हैं, जब उनका शरीर रोगग्रस्त था, किंतु आत्मा और उपदेशों की शक्ति पहले से भी अधिक प्रखर हो चुकी थी।
इस भाग में:
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ईश्वर के नाम की महिमा,
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भक्ति और ज्ञान के अंतर,
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गृहस्थ और सन्यासी के धर्म,
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आत्मज्ञान की व्याख्या,
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भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण,
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शुद्ध प्रेम और निष्काम सेवा,
जैसे विषयों पर अत्यंत सरल, लेकिन गहराई से भरे संवाद मिलते हैं।
🌿 मुख्य विशेषताएँ:
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भाषा शैली: यह भाग भी श्रीरामकृष्ण की सरल, लोकबोली जैसी भाषा में है – जो सीधे हृदय को स्पर्श करती है।
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संवाद शैली: इसमें विभिन्न भक्तों (जैसे नरेंद्रनाथ – जो आगे चलकर स्वामी विवेकानंद बने), विद्वानों और सामान्य जनों से हुए संवाद हैं।
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प्रेरक प्रसंग: कई ऐसे प्रसंग हैं जो श्रीरामकृष्ण की दिव्यता और उनके आध्यात्मिक दृष्टिकोण को दर्शाते हैं।
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आध्यात्मिक गहराई: यह भाग सांसारिक मोह से मुक्ति, ईश्वर प्राप्ति की व्यावहारिक विधियों, और गुरु-भक्ति की पराकाष्ठा को स्पष्ट करता है।
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