श्रीरामकृष्ण देव की वाणी/shriramkrishnadev ki vani

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श्रीरामकृष्ण देव की वाणी (Shriramkrishna Dev Ki Vani) आध्यात्मिक ज्ञान, भक्ति और जीवन के सत्य पर आधारित गूढ़ शिक्षाओं का संग्रह है। श्रीरामकृष्ण परमहंस (1836-1886) एक महान संत, योगी और गुरु थे, जिनकी वाणी सरल, गूढ़ और आत्मा को छू लेने वाली होती थी। उनकी बातें आम जनता को गहराई से प्रभावित करती थीं क्योंकि वे उन्हें सरल उदाहरणों, रूपकों और कहानियों के माध्यम से समझाते थे।

श्रीरामकृष्ण देव की वाणी 

1. सरल भाषा में गूढ़ ज्ञान:
रामकृष्ण परमहंस की वाणी में जीवन के जटिल सत्यों को बहुत ही सहज, भावनात्मक और व्यावहारिक भाषा में प्रस्तुत किया गया है। वे कहते थे, “जैसे एक नदी बहती है और सागर से मिल जाती है, वैसे ही आत्मा परमात्मा से मिल जाती है।”

2. धार्मिक समन्वय का संदेश:
उनकी वाणी में यह सिखाया गया है कि सभी धर्म एक ही सत्य की ओर ले जाते हैं। वे स्वयं कई धर्मों की साधना कर चुके थे और मानते थे कि “जैसे कुएं से पानी निकालने के लिए कई रास्ते होते हैं, वैसे ही ईश्वर तक पहुंचने के कई मार्ग होते हैं।”

3. भक्ति और साधना का महत्व:
उनकी वाणी भक्ति की शक्ति को दर्शाती है। वे कहते थे, “ईश्वर को पाने के लिए सच्चे हृदय से पुकारो, वह अवश्य आएगा।”

4. आत्मज्ञान और विवेक पर बल:
रामकृष्ण जी की वाणी आत्मा के शुद्ध रूप को जानने के लिए प्रेरित करती है। वे कहते थे, “मनुष्य का असली स्वरूप आत्मा है – शुद्ध, बुद्ध और मुक्त।”

5. गुरु और शिष्य का संबंध:
उनकी वाणी में गुरु के महत्व को विशेष स्थान दिया गया है। वे कहते थे, “गुरु की कृपा से ही जीव मोक्ष प्राप्त करता

Description

श्रीरामकृष्ण देव की वाणी (Shriramkrishna Dev Ki Vani) आध्यात्मिक ज्ञान, भक्ति और जीवन के सत्य पर आधारित गूढ़ शिक्षाओं का संग्रह है। श्रीरामकृष्ण परमहंस (1836-1886) एक महान संत, योगी और गुरु थे, जिनकी वाणी सरल, गूढ़ और आत्मा को छू लेने वाली होती थी। उनकी बातें आम जनता को गहराई से प्रभावित करती थीं क्योंकि वे उन्हें सरल उदाहरणों, रूपकों और कहानियों के माध्यम से समझाते थे।

श्रीरामकृष्ण देव की वाणी 

1. सरल भाषा में गूढ़ ज्ञान:
रामकृष्ण परमहंस की वाणी में जीवन के जटिल सत्यों को बहुत ही सहज, भावनात्मक और व्यावहारिक भाषा में प्रस्तुत किया गया है। वे कहते थे, “जैसे एक नदी बहती है और सागर से मिल जाती है, वैसे ही आत्मा परमात्मा से मिल जाती है।”

2. धार्मिक समन्वय का संदेश:
उनकी वाणी में यह सिखाया गया है कि सभी धर्म एक ही सत्य की ओर ले जाते हैं। वे स्वयं कई धर्मों की साधना कर चुके थे और मानते थे कि “जैसे कुएं से पानी निकालने के लिए कई रास्ते होते हैं, वैसे ही ईश्वर तक पहुंचने के कई मार्ग होते हैं।”

3. भक्ति और साधना का महत्व:
उनकी वाणी भक्ति की शक्ति को दर्शाती है। वे कहते थे, “ईश्वर को पाने के लिए सच्चे हृदय से पुकारो, वह अवश्य आएगा।”

4. आत्मज्ञान और विवेक पर बल:
रामकृष्ण जी की वाणी आत्मा के शुद्ध रूप को जानने के लिए प्रेरित करती है। वे कहते थे, “मनुष्य का असली स्वरूप आत्मा है – शुद्ध, बुद्ध और मुक्त।”

5. गुरु और शिष्य का संबंध:
उनकी वाणी में गुरु के महत्व को विशेष स्थान दिया गया है। वे कहते थे, “गुरु की कृपा से ही जीव मोक्ष प्राप्त करता

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