Description
श्रीप्रेमभक्तिप्रकाश तथा ध्यानावस्था मैं प्रभु से वार्तालाप यह पुस्तक भक्ति और आत्म-चिंतन पर आधारित एक अनुपम रचना है। इसमें लेखक जयदयाल गोयंदका जी ने “प्रेम भक्ति” के वास्तविक स्वरूप को उजागर किया है। पुस्तक के पहले भाग “प्रेमभक्ति प्रकाश” में प्रेमपूर्वक ईश्वर भक्ति करने के भावों को सरल और हृदयस्पर्शी भाषा में समझाया गया है। यह भाग पाठक को भक्ति के मार्ग पर प्रेरित करता है।
दूसरे भाग “ध्यानावस्था में प्रभु से वार्तालाप” में ध्यान की अवस्था में साधक की ईश्वर से हुई काल्पनिक या अनुभूतिपूर्ण संवाद को प्रस्तुत किया गया है। यह संवाद बहुत ही गूढ़, शिक्षाप्रद और आत्मिक उन्नति में सहायक है। इसमें प्रभु की कृपा, नामस्मरण, साधना, सेवा और वैराग्य जैसे विषयों पर अत्यंत भावपूर्ण ढंग से चर्चा की गई है।
मुख्य विषय:
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प्रेमभक्ति का महत्व और स्वरूप
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ध्यान के माध्यम से ईश्वर से संवाद
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आध्यात्मिक साधना का मार्गदर्शन
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सरल और हृदयग्राही शैली में लिखी गई
यह पुस्तक उन सभी साधकों के लिए उपयोगी है जो प्रेम और श्रद्धा से ईश्वर की भक्ति करना चाहते हैं और अपने जीवन को आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाना चाहते हैं।
Additional information
| Weight | 0.3 g |
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