Description
श्रीनरसिंहपुराण/ Shri Narasingh Puran [सचित्र , हिन्दी -अनुवादसहित]
श्री नरसिंह पुराण महर्षि वेदव्यासजी द्वारा रचित यह भारतीय ग्रंथ समूह पुराण से जुड़ा है, यह एक उपपुराण है।नरसिंह नर + सिंह (“मानव-सिंह”) को पुराण में भगवान विष्णु का अवतार माना गया है। जो आधे मानव एवं आधे सिंह के रूप में प्रकट होते हैं, जिनका सिर एवं धड तो मानव का था लेकिन चेहरा एवं पंजे सिंह की तरह थे वे भारत में, खासकर दक्षिण भारत में वैष्णव संप्रदाय के लोगों द्वारा एक देवता के रूप में पूजे जाते हैं जो विपत्ति के समय अपने भक्तोंकी रक्षा के लिए प्रकट होते हैं।
नृसिंह पुराण सब पापोंको हरनेवाला और सम्पूर्ण दुःखोंको दूर करनेवाला है। समस्त पुण्यों तथा सभी यज्ञोंका फल देनेवाला है। जो लोग इसके एक श्लोक या आधे श्लोकका श्रवण अथवा पाठ करते हैं, उन्हें कभी भी पापोंसे बन्धन नहीं प्राप्त होता। भगवान् विष्णु को अर्पण किया हुआ यह पावन पुराण समस्त कामनाओं की पूर्ति करनेवाला है।
जो लोग भक्तिपूर्वक इस पुराणका पाठ अथवा श्रवण करते हैं, उनको प्राप्त होनेवाले फल का वर्णन सुनिये। वे सौ जन्मोंके पापसे तत्काल ही मुक्त हो जाते हैं तथा अपनी सहस्र पीढ़ियोंके साथ ही परमपदको प्राप्त होते हैं। जो प्रतिदिन एकाग्रचित्तसे गोविन्दगुणगान सुनते रहते हैं, उनको अनेक बार तीर्थ-सेवन, गोदान, तपस्या और यज्ञानुष्ठान करनेसे क्या लेना है।
जो प्रतिदिन सबेरे उठकर इस पुराणके बीस श्लोकोंका पाठ करता है, वह ज्योतिष्टोम यज्ञका फल प्राप्तकर विष्णुलोकमें प्रतिष्ठित होता है॥
यह पुराण परम पवित्र और आदरणीय है। इसे अजितेन्द्रिय पुरुषोंको तो कभी नहीं सुनाना चाहिये. | परंतु विष्णुभक्त द्विजोंको निस्संदेह इसका श्रवण कराना चाहिये।
इस पुराण का श्रवण इस लोक और परलोकमें भी सुख देनेवाला है। यह वक्ताओं और श्रोताओं के पाप को तत्काल नष्ट कर देता है। श्रद्धासे हो या अश्रद्धासे, इस उत्तम पुराणका श्रवण करना ।। इस पुराणको सुनकर भरद्वाज आदि द्विजश्रेष्ठगण कृतार्थ हो गये।
Additional information
Weight | 0.4 kg |
---|
Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.
Reviews
There are no reviews yet.