श्रीगणेश-अङ्क (कल्याण )/ Shri Ganesh anka- Kalyan

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भगवत्कृपा से कल्याण का प्रकाशन ईस्वी सन 1926 से लगातार हो रहा है। इस पत्रिका के आद्य संपादक नित्यलीलालीन भाईजी श्री हनुमान प्रसाद जी पोद्दार थे। कल्याण के प्रथम अंक में प्रकाशित संपादकीय वक्तव्य पठन सामग्री में उधृत है।

आध्यात्मिक जगत में कल्याण के विशेषांकों का संग्रहणीय साहित्य के रूप में प्रतिष्ठित स्थान है। प्रतिवर्ष जनवरी माह में साधकों के लिये उपयोगी किसी आध्यात्मिक विषय पर केंद्रित विशेषांक प्रकाशित होता है। शेष ग्यारह महीनों में प्रतिमाह पत्रिका प्रकाशित होती है।

भगवान् गणेश अनादि, सर्वपूज्य, आनन्दमय, ब्रह्ममय और सच्चिदानन्दरूप हैं। महामहिम गणेश की इन्हीं सर्वमान्य विशेषताओं और सर्वसिद्धि-प्रदायक उपासना-पद्धति का विस्तृत वर्णन कल्याण के इस विशेषांक में उपलब्ध है। इसमें श्रीगणेश की लीला-कथाओं का भी बड़ा ही रोचक वर्णन और पूजा-अर्चना आदि पर उपयोगी दिग्दर्शन है।

Description

भगवत्कृपा से कल्याण का प्रकाशन ईस्वी सन 1926 से लगातार हो रहा है। इस पत्रिका के आद्य संपादक नित्यलीलालीन भाईजी श्री हनुमान प्रसाद जी पोद्दार थे। कल्याण के प्रथम अंक में प्रकाशित संपादकीय वक्तव्य पठन सामग्री में उधृत है।

आध्यात्मिक जगत में कल्याण के विशेषांकों का संग्रहणीय साहित्य के रूप में प्रतिष्ठित स्थान है। प्रतिवर्ष जनवरी माह में साधकों के लिये उपयोगी किसी आध्यात्मिक विषय पर केंद्रित विशेषांक प्रकाशित होता है। शेष ग्यारह महीनों में प्रतिमाह पत्रिका प्रकाशित होती है।

भगवान् गणेश अनादि, सर्वपूज्य, आनन्दमय, ब्रह्ममय और सच्चिदानन्दरूप हैं। महामहिम गणेश की इन्हीं सर्वमान्य विशेषताओं और सर्वसिद्धि-प्रदायक उपासना-पद्धति का विस्तृत वर्णन कल्याण के इस विशेषांक में उपलब्ध है। इसमें श्रीगणेश की लीला-कथाओं का भी बड़ा ही रोचक वर्णन और पूजा-अर्चना आदि पर उपयोगी दिग्दर्शन है।

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