श्रद्धा-विश्वास और प्रेम/ Shraddha- Biswas our Prem

30.00

Description

मनुष्य का मन प्रायः हर समय सांसारिक पदार्थों का चिन्तन करके अपने समय को व्यर्थ नष्ट करता है किन्तु मनुष्य जन्म का समय बड़ा ही अमूल्य है इसलिये अपने समय को एक क्षण भी व्यर्थ नष्ट न करके श्रद्धा और प्रेमपूर्वक भगवान के नाम रूप का निष्काम भाव से नित्य, निरन्तर स्मरण करना चाहिये

विश्वास-श्रद्धा और प्रेम 

प्रायः लोग विश्वास, श्रद्धा और प्रेम को एक दूसरे का प्रतिरूप मान बैठते हैं। किन्तु यह तीनो चरणबद्ध व्यवस्थित विकसित क्रम में हैं। हम किसी जड़ पदार्थ पर विश्वास तो कर सकते हैं किन्तु उस वस्तु में श्रद्धा एवं प्रेम नहीं रख सकते। श्रद्धा और प्रेम चेतनायुक्त के प्रति ही उपजते हैं जबकि भौतिक जड़ वस्तु में हमारा मात्र विश्वास ही हो सकता है। इसके अतिरिक्त कुछ नहीं। किंतु कोई ऐसा जिसमें जीवन और चेतना हो उसके प्रति हमारे अंदर विश्वास श्रद्धा और प्रेम तीनों ही उत्पन्न हो सकते है।

Additional information

Weight 0.4 kg

Reviews

There are no reviews yet.

Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.