Description
“शरणागति“ स्वामी रामसुखदास जी की एक अत्यंत प्रेरणादायी और भक्तिभाव से परिपूर्ण पुस्तक है, जिसमें भगवान श्रीराम और भक्त विभीषण के प्रसंग के माध्यम से सच्ची शरणागति का महत्त्व बताया गया है। इस पुस्तक का मूल उद्देश्य यह है कि जब कोई व्यक्ति पूर्ण निष्ठा, विश्वास और विनम्रता के साथ भगवान की शरण में आता है, तो भगवान उसे कभी निराश नहीं करते।
पुस्तक में श्रीराम के चरित्र और करुणा को विस्तार से दर्शाया गया है, खासकर उस प्रसंग को जहाँ रावण का भाई विभीषण प्रभु श्रीराम की शरण में आता है। श्रीराम का ह्रदय स्पर्श करने वाला संवाद, जैसे –
“सचिव बैन बिहीन नर केहि, हित अनहित जानत सब केहि”
और
“जो शरणागत होइ जनु मोही, तजि मद निंदा करउँ न ओही” –
इन श्लोकों के माध्यम से यह स्पष्ट होता है कि भगवान किसी भी शरणागत को अपने ह्रदय से लगा लेते हैं, चाहे वह शत्रु पक्ष से ही क्यों न हो।
📚 मुख्य विषयवस्तु:
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सच्ची शरणागति क्या है?
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भगवान की दया और करुणा
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आत्मसमर्पण का मार्ग
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भक्ति और विश्वास की शक्ति
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विभीषण की कथा द्वारा जीवन का मार्गदर्शन
💡 पुस्तक का उद्देश्य:
पाठकों को भगवान की शरण में जाने के महत्व को समझाना और यह बताना कि कोई भी जीव, चाहे उसकी परिस्थिति कैसी भी हो, यदि सच्चे ह्रदय से भगवान की शरण में आता है तो भगवान उसे अवश्य स्वीकार करते हैं।
यह पुस्तक उन सभी के लिए उपयोगी है जो अपने जीवन में भक्ति, आत्मसमर्पण और शांति की खोज कर रहे हैं।
Additional information
Weight | 0.4 g |
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