वेदांत – स्वामी विवेकानंद द्वारा/ Vedanta – By Swami Vivekananda

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वेदांत – स्वामी विवेकानंद  

वेदांत हिंदू दर्शन का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो वेदों और उपनिषदों के ज्ञान पर आधारित है। स्वामी विवेकानंद ने वेदांत को व्यापक रूप से प्रचारित किया और इसे एक व्यावहारिक जीवन दर्शन के रूप में प्रस्तुत किया। उनके विचारों में वेदांत केवल आध्यात्मिक ज्ञान तक सीमित नहीं था, बल्कि यह मनुष्य के आत्म-विकास और समाज की उन्नति का भी मार्ग दिखाता है।

स्वामी विवेकानंद का वेदांत पर दृष्टिकोण

  1. अद्वैतवाद (अद्वैत वेदांत) – उन्होंने अद्वैतवाद को अपनाया, जो कहता है कि ब्रह्म (परम सत्य) और आत्मा (व्यक्ति) एक ही हैं।
  2. व्यावहारिक वेदांत – उन्होंने वेदांत को केवल ध्यान और तपस्या तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे कर्मयोग, समाज सेवा और मानवता की भलाई से जोड़ा।
  3. धर्म और विज्ञान का संगम – स्वामी विवेकानंद ने वेदांत को आधुनिक विज्ञान के साथ संगत बताया और कहा कि यह तर्कसंगत और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी प्रमाणित हो सकता है।
  4. सार्वभौमिकता – वेदांत किसी एक धर्म, जाति या संप्रदाय तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरी मानवता के कल्याण के लिए है।
  5. शक्ति और आत्मनिर्भरता – उन्होंने वेदांत के माध्यम से आत्म-शक्ति, आत्म-निर्भरता और निडरता का संदेश दिया।

वेदांत का समाज पर प्रभाव

स्वामी विवेकानंद ने वेदांत के सिद्धांतों को जीवन में अपनाने पर जोर दिया और भारत की युवा पीढ़ी को प्रेरित किया कि वे अपने भीतर की शक्ति को पहचानें और समाज की उन्नति के लिए कार्य करें। उनका संदेश था कि सच्चा वेदांती वही है जो समाज की सेवा करता है और अपने जीवन को परोपकार के लिए समर्पित करता है।

स्वामी विवेकानंद के वेदांत के विचार आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं और आत्म-विकास व समाज सुधार के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

Description

Vedanta  Swami Vivekananda

Vedanta is a profound and essential part of Hindu philosophy, based on the teachings of the Vedas and Upanishads. Swami Vivekananda played a pivotal role in spreading Vedanta worldwide, presenting it not just as a spiritual doctrine but as a practical philosophy for self-development and social progress.

Swami Vivekananda’s Perspective on Vedanta

  1. Advaita Vedanta (Non-Dualism) – He strongly advocated Advaita Vedanta, which asserts that the ultimate reality (Brahman) and the individual soul (Atman) are one and the same.
  2. Practical Vedanta – He emphasized that Vedanta is not merely for meditation and renunciation but should be applied in daily life through selfless action, service, and devotion.
  3. Harmony of Religion and Science – He demonstrated that Vedanta is logical, scientific, and in harmony with modern thought.
  4. Universalism – According to Swami Vivekananda, Vedanta transcends religious boundaries and is a universal philosophy that applies to all of humanity.
  5. Strength and Self-Reliance – He encouraged people to develop inner strength, self-reliance, and fearlessness through the teachings of Vedanta.

Impact of Vedanta on Society

Swami Vivekananda urged individuals, especially the youth, to recognize their inner potential and work towards the betterment of society. He believed that a true Vedantin is one who serves others selflessly and dedicates their life to the welfare of humanity.

Even today, Swami Vivekananda’s teachings on Vedanta continue to inspire people worldwide, guiding them towards personal growth, strength, and social reform.

वेदांत – स्वामी विवेकानंद  

वेदांत हिंदू दर्शन का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो वेदों और उपनिषदों के ज्ञान पर आधारित है। स्वामी विवेकानंद ने वेदांत को व्यापक रूप से प्रचारित किया और इसे एक व्यावहारिक जीवन दर्शन के रूप में प्रस्तुत किया। उनके विचारों में वेदांत केवल आध्यात्मिक ज्ञान तक सीमित नहीं था, बल्कि यह मनुष्य के आत्म-विकास और समाज की उन्नति का भी मार्ग दिखाता है।

स्वामी विवेकानंद का वेदांत पर दृष्टिकोण

  1. अद्वैतवाद (अद्वैत वेदांत) – उन्होंने अद्वैतवाद को अपनाया, जो कहता है कि ब्रह्म (परम सत्य) और आत्मा (व्यक्ति) एक ही हैं।
  2. व्यावहारिक वेदांत – उन्होंने वेदांत को केवल ध्यान और तपस्या तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे कर्मयोग, समाज सेवा और मानवता की भलाई से जोड़ा।
  3. धर्म और विज्ञान का संगम – स्वामी विवेकानंद ने वेदांत को आधुनिक विज्ञान के साथ संगत बताया और कहा कि यह तर्कसंगत और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी प्रमाणित हो सकता है।
  4. सार्वभौमिकता – वेदांत किसी एक धर्म, जाति या संप्रदाय तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरी मानवता के कल्याण के लिए है।
  5. शक्ति और आत्मनिर्भरता – उन्होंने वेदांत के माध्यम से आत्म-शक्ति, आत्म-निर्भरता और निडरता का संदेश दिया।

वेदांत का समाज पर प्रभाव

स्वामी विवेकानंद ने वेदांत के सिद्धांतों को जीवन में अपनाने पर जोर दिया और भारत की युवा पीढ़ी को प्रेरित किया कि वे अपने भीतर की शक्ति को पहचानें और समाज की उन्नति के लिए कार्य करें। उनका संदेश था कि सच्चा वेदांती वही है जो समाज की सेवा करता है और अपने जीवन को परोपकार के लिए समर्पित करता है।

स्वामी विवेकानंद के वेदांत के विचार आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं और आत्म-विकास व समाज सुधार के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

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