Description
विनयपत्रिका तुलसीदास रचित एक ग्रंथ है। यह ब्रज भाषा में रचित है। विनय पत्रिका में विनय के पद है। विनयपत्रिका का एक नाम राम विनयावली भी है। विनय पत्रिका में 21 रागों का प्रयोग हुआ है। विनय पत्रिका का प्रमुख रस शांतरस है तथा इस रस का स्थाई भाव निर्वेद होता है। विनय प्रत्रिका अध्यात्मिक जीवन को परिलक्षित करती है।
विनय पत्रिका तुलसीदास जी के 279 स्तोत्र गीतों का संग्रह है। प्रारम्भ के 63 स्तोत्र और गीतों में गणेश, शिव पार्वती , गंगा, यमुना, काशी, चित्रकूट, हनुमान , सीता और विष्णु के एक विग्रह विन्दु माधव के गुणगान के साथ राम की स्तुतियाँ हैं। इस अंश में जितने भी देवी-देवताऔ के सम्बन्ध के स्तोत्र और पद आते हैं, सभी में उनका गुणगान करके उनसे राम की भक्ति की याचना की गयी है। इससे स्पष्ट ज्ञात होता है कि तुलसीदास भले ही इन देवी-देवताओं में विश्वास रखते रहे हों, किंतु इनकी उपयोगिता केवल तभी तक मानते थे, जब तक इनसे राम भक्ति की प्राप्ति में सहयोग मिल सके।
विनयपत्रिका ‘ के ही एक प्रसिद्ध पद में उन्होंने कहा है –
‘तुलसी सो सब भाँति परम हित पूज्य प्रान ते प्यारो।
जासों होय सनेह राम पद एतो मतो हमारो॥’
इन पदों में वैराग्य के प्रथम सोपन से लेकर प्रभु- कृपा प्राप्ति तक के अनेकानेक सोपानों को तय तय करने का एक बहुत कुछ पूर्ण इतिवृत आता है। कमी इतनी ही है कि इन पदों का रचना- क्रम निश्चित नहीं है और न हमें यह ज्ञात है कि कौन- सा पद किन परिस्थितियों में रचा गया है। फिर भी ये जिस रूप में हमें प्राप्त हैं, उस रूप में भी ये तुलसीदास की साधना का अत्यंत प्रमाणिक यथातथ्य और विशद परिचय देते हैं और इसलिए ये सामूहिक रूप से उनकी रचनाओं में प्राय: उतने ही महत्त्व के अधिकारी है, जितना उनकी और कोई रचना है।
राम से उनके अनन्य प्रेम का अनुमोदन करें और इनके अनुमोदन करने पर राम तुलसीदास की विनय पत्रिका स्वीकृत करते हैं।
Additional information
Weight | 0.3 kg |
---|
Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.
Reviews
There are no reviews yet.