Description
“वासुदेवः सर्वम्” श्रीमद्भगवद्गीता का एक गूढ़ आध्यात्मिक संदेश है, जिसका अर्थ है – “वासुदेव ही सब कुछ हैं”। इस पुस्तक में स्वामी रामसुखदास जी ने भगवत्सत्ता की सर्वव्यापकता तथा एकत्व-दृष्टि का विस्तारपूर्वक, अत्यंत सहज और भावप्रवण ढंग से वर्णन किया है।
🌼 मुख्य विषयवस्तु:
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वासुदेव की सर्वत्रता: इस ग्रंथ में बताया गया है कि भगवान केवल एक स्थान पर नहीं हैं, वे हर कण, हर जीव और हर स्थिति में विद्यमान हैं।
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अद्वैत और भक्ति का समन्वय: ग्रंथ में अद्वैत वेदांत के साथ-साथ भक्ति मार्ग की मधुर व्याख्या है।
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प्रेम व समर्पण: वासुदेव को सर्वस्व मानकर कैसे पूर्ण समर्पण एवं प्रेमपूर्वक जीवन जीया जाए – इस पर विशेष बल दिया गया है।
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प्रेरणादायक शैली: स्वामीजी की शैली सरल, प्रभावी, और हृदय को छूने वाली है, जो जिज्ञासुओं और साधकों दोनों को गहराई तक प्रभावित करती है।
🌺 विशेषताएँ:
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सरल भाषा में गंभीर आध्यात्मिक चिंतन की प्रस्तुति।
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भगवद्गीता, उपनिषद, भागवत और अन्य शास्त्रों से उद्धरणों द्वारा विषय को पुष्ट किया गया है।
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आत्मा और परमात्मा के संबंध को स्पष्ट करती हुई पुस्तक।
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भक्तों के लिए श्रीकृष्ण की लीलाओं एवं उपदेशों का अद्भुत चित्रण।
📘 किसके लिए उपयोगी:
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गीता के पाठकों और चिंतकों के लिए
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आध्यात्मिक साधकों, भक्ति मार्ग के अनुयायियों के लिए
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श्रीकृष्ण प्रेमियों और वैष्णव भक्तों के लिए
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आत्मबोध और ईश्वर साक्षात्कार की दिशा में आगे बढ़ने वाले साधकों के लिए
“वासुदेवः सर्वम्” वास्तव में एक ऐसा चिंतन है, जो पाठक को बाह्य विविधताओं से हटाकर एकात्मता की ओर प्रेरित करता है और भगवान को ही सब कुछ मानकर जीने का अद्भुत दृष्टिकोण प्रदान करता है।
Additional information
Weight | 0.3 g |
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1 review for वासुदेवःसर्वम्/ Vasudebah Sarvam
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Heygen –
I’m really impressed together with your writing abilities and also with
the layout for your weblog. Is that this a paid topic or did you customize it
yourself? Either way stay up the excellent high quality writing, it is rare to see a great weblog like this one these days.
Stan Store!