वाक्यवृत्ति तथा लघुवाक्यवृत्ति/ Vakya-Vritti-tatha-Laghu-Vakya-Vrittih

वाक्यवृत्ति तथा लघुवाक्यवृत्तिः   (Vakya-Vritti tatha Laghu-Vakya-Vrittih)

1.  (Vakya-Vritti)
वाक्यवृत्ति आदि शंकराचार्य द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें अद्वैत वेदांत के प्रमुख सिद्धांतों का सरल व्याख्या के माध्यम से वर्णन किया गया है। यह ग्रंथ “तत्त्वमसि” महावाक्य की व्याख्या करता है और जीव-ब्रह्म ऐक्य (जीव और ब्रह्म की एकता) को विस्तार से समझाने का कार्य करता है। इस ग्रंथ में मुख्य रूप से वेदांत के सिद्धांतों को गुरु-शिष्य संवाद के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिससे जिज्ञासु व्यक्ति इसे सरलता से समझ सके।

मुख्य विशेषताएँ:

  • अद्वैत वेदांत का सरल और स्पष्ट विवेचन

  • “तत्त्वमसि” (तू ही ब्रह्म है) महावाक्य का विस्तारपूर्वक विश्लेषण

  • जीव और ब्रह्म के अद्वैत (अभिन्नता) की व्याख्या

  • आत्मा और परमात्मा की एकता को समझाने का प्रयास

2. लघुवाक्यवृत्ति (Laghu-Vakya-Vritti)
लघुवाक्यवृत्ति भी वेदांत के प्रमुख सिद्धांतों को सरल भाषा में समझाने वाला एक छोटा ग्रंथ है। यह मूल वाक्यवृत्ति से छोटा है और अधिक संक्षिप्त शैली में अद्वैत वेदांत के मुख्य विचारों को प्रस्तुत करता है। इसमें वेदांत के चार महावाक्यों में से किसी एक की व्याख्या दी जाती है, जिससे जिज्ञासु व्यक्ति वेदांत के सार को आसानी से ग्रहण कर सके।

मुख्य विशेषताएँ:

  • वाक्यवृत्ति का संक्षिप्त रूप

  • अद्वैत वेदांत का संक्षिप्त और सारगर्भित वर्णन

  • महावाक्य की व्याख्या का सरल और सुबोध रूप

महत्व:
दोनों ग्रंथ वेदांत अध्ययन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और वेदांत दर्शन के गंभीर साधकों के लिए अद्वैत सिद्धांत को समझने में सहायक हैं

Description

Vakya-Vritti and Laghu-Vakya-Vritti 

1. Vakya-Vritti

Vakya-Vritti is an important Vedantic text composed by Adi Shankaracharya, in which he elaborates on the key principles of Advaita Vedanta through simple explanations. This text primarily provides a detailed exposition of the Mahavakya “Tat Tvam Asi” (“Thou art That”), explaining the non-duality (Advaita) between the individual self (Jiva) and the Supreme Reality (Brahman).

The text is written in a dialogue format between a Guru (teacher) and a Shishya (disciple), making it easier for seekers to grasp the deep philosophical concepts of Vedanta.

Key Features:
  • A clear and simplified explanation of Advaita Vedanta

  • Detailed analysis of the Mahavakya “Tat Tvam Asi”

  • Discussion on the oneness of Jiva (individual soul) and Brahman (Supreme Consciousness)

  • Emphasizes the unity of Atman (Self) and Brahman

2. Laghu-Vakya-Vritti

Laghu-Vakya-Vritti is a shorter text that presents the core ideas of Vedanta in a more concise and straightforward manner. It serves as an abridged version of Vakya-Vritti and focuses on the explanation of one of the four Mahavakyas (Great Sayings) from the Upanishads.

Key Features:
  • A brief and simplified version of Vakya-Vritti

  • Concise and essential teachings of Advaita Vedanta

  • A clear explanation of the Mahavakya in an easy-to-understand format

Significance:

Both these texts are highly valuable for students of Vedanta, offering a foundational understanding of non-duality (Advaita) and the essential unity of the individual soul with the Supreme Reality

वाक्यवृत्ति तथा लघुवाक्यवृत्तिः   (Vakya-Vritti tatha Laghu-Vakya-Vrittih)

1.  (Vakya-Vritti)
वाक्यवृत्ति आदि शंकराचार्य द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें अद्वैत वेदांत के प्रमुख सिद्धांतों का सरल व्याख्या के माध्यम से वर्णन किया गया है। यह ग्रंथ “तत्त्वमसि” महावाक्य की व्याख्या करता है और जीव-ब्रह्म ऐक्य (जीव और ब्रह्म की एकता) को विस्तार से समझाने का कार्य करता है। इस ग्रंथ में मुख्य रूप से वेदांत के सिद्धांतों को गुरु-शिष्य संवाद के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिससे जिज्ञासु व्यक्ति इसे सरलता से समझ सके।

मुख्य विशेषताएँ:

  • अद्वैत वेदांत का सरल और स्पष्ट विवेचन

  • “तत्त्वमसि” (तू ही ब्रह्म है) महावाक्य का विस्तारपूर्वक विश्लेषण

  • जीव और ब्रह्म के अद्वैत (अभिन्नता) की व्याख्या

  • आत्मा और परमात्मा की एकता को समझाने का प्रयास

2. लघुवाक्यवृत्ति (Laghu-Vakya-Vritti)
लघुवाक्यवृत्ति भी वेदांत के प्रमुख सिद्धांतों को सरल भाषा में समझाने वाला एक छोटा ग्रंथ है। यह मूल वाक्यवृत्ति से छोटा है और अधिक संक्षिप्त शैली में अद्वैत वेदांत के मुख्य विचारों को प्रस्तुत करता है। इसमें वेदांत के चार महावाक्यों में से किसी एक की व्याख्या दी जाती है, जिससे जिज्ञासु व्यक्ति वेदांत के सार को आसानी से ग्रहण कर सके।

मुख्य विशेषताएँ:

  • वाक्यवृत्ति का संक्षिप्त रूप

  • अद्वैत वेदांत का संक्षिप्त और सारगर्भित वर्णन

  • महावाक्य की व्याख्या का सरल और सुबोध रूप

महत्व:
दोनों ग्रंथ वेदांत अध्ययन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और वेदांत दर्शन के गंभीर साधकों के लिए अद्वैत सिद्धांत को समझने में सहायक हैं

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