Description
लीलावली /Leelavali (Set of 2 books) राधेश्याम बंका
श्री राधेश्याम बंका के सहोदर बड़े भाई श्री हनुमान प्रसाद जी बांका की में पोत्री हूं। मेरा परम सौभाग्य है की मुझे ऐसे पुनीत कूल में जन्म मिला। इन दिव्य लिलाओं को देखने का मोका यदा कदा ही मिलता था।
इन लीलाऔं से मेरी भावनायें आत्याधिक उर्मिल हो रही थी। मैं चाहाती थी, कि इनका प्रकाशन हो। परंतु दादाजी बार-बार मना कर देते थे। कहते कि यह मेरी परम गोपनिय निधि है। इसे समाज के सामने लाना बेहतर नही है।
फिर भी में उनसे इन्हे प्रकाशित करने के लिए अनुरोध करती रही। और उन्होने मेरी बालहठ को स्वीकार कर लिया।
श्री प्रिया-प्रियतम की निकुंज लीलाओं का मधुर रसगान ही लीलावली है।
यह लीलावली केवल लीलाओं का संग्रह नहीं है। अपितु साधको के लिए यह ग्रंथ एक ऐसा अबलंबन है जिसे पढकर उनका ह्रदय बार-बार उनकी कृपा से संसिक्त होकर अध्यात्म पथ पर अग्रसर हो सकेगा।
लीलावली का प्रकाशन जन-जन को रसास्वादन का सुअवसर प्रदान करेगा।
मुझे ऐसा विश्वास है कि यह संग्रह सब पाठको को आंतरिक खुशी प्रदान करेगा।
Additional information
Weight | 0.3 g |
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