रामायण / Ramayan (Swami Vivekananda)

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स्वामी विवेकानंद द्वारा ‘रामायण’ पुस्तक के बारे में

स्वामी विवेकानंद ने “रामायण” नामक कोई स्वतंत्र पुस्तक नहीं लिखी, लेकिन उन्होंने रामायण, भगवान राम, और उनके जीवन मूल्यों पर अपने भाषणों और लेखों में गहन चर्चा की है। उनके विचार स्वामी विवेकानंद संपूर्ण रचनाएं”, “कोलंबो से अल्मोड़ा तक प्रवचन”, और “प्रैक्टिकल वेदांत” जैसी पुस्तकों में संकलित हैं।

📖 स्वामी विवेकानंद के विचारों में रामायण

1. भगवान राम का आदर्श चरित्र

  • स्वामी विवेकानंद के अनुसार, भगवान राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं—यानी आदर्श राजा, आदर्श पुत्र, आदर्श पति और आदर्श मित्र।
  • उन्होंने राम को कर्तव्य, सत्य, और धर्म का प्रतीक माना, जो हर इंसान को जीवन में अनुशासन और त्याग का पाठ पढ़ाते हैं।

2. माता सीता – आदर्श नारी का प्रतीक

  • स्वामी विवेकानंद ने माता सीता को शक्ति, धैर्य और पवित्रता की मूर्ति बताया।
  • वे उनके त्याग और सहनशीलता की सराहना करते थे और महिलाओं के लिए उन्हें प्रेरणा स्रोत मानते थे।

3. हनुमान – पूर्ण समर्पण और शक्ति का प्रतीक

  • वे हनुमान जी को भक्ति, साहस और शक्ति का आदर्श मानते थे।
  • उन्होंने युवाओं को हनुमान की तरह दृढ़ निश्चयी, निडर और सेवा भावी बनने की प्रेरणा दी।

4. रामायण – एक जीवन दर्शन

  • विवेकानंद के अनुसार, रामायण केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि एक जीवन पथ प्रदर्शक है
  • इसमें कर्तव्य, आदर्श, बलिदान, और समाज सेवा के सर्वोच्च आदर्श सिखाए गए हैं।

Description

स्वामी विवेकानंद द्वारा ‘रामायण’ पुस्तक के बारे में

स्वामी विवेकानंद ने “रामायण” नामक कोई स्वतंत्र पुस्तक नहीं लिखी, लेकिन उन्होंने रामायण, भगवान राम, और उनके जीवन मूल्यों पर अपने भाषणों और लेखों में गहन चर्चा की है। उनके विचार स्वामी विवेकानंद संपूर्ण रचनाएं”, “कोलंबो से अल्मोड़ा तक प्रवचन”, और “प्रैक्टिकल वेदांत” जैसी पुस्तकों में संकलित हैं।

📖 स्वामी विवेकानंद के विचारों में रामायण

1. भगवान राम का आदर्श चरित्र

  • स्वामी विवेकानंद के अनुसार, भगवान राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं—यानी आदर्श राजा, आदर्श पुत्र, आदर्श पति और आदर्श मित्र।
  • उन्होंने राम को कर्तव्य, सत्य, और धर्म का प्रतीक माना, जो हर इंसान को जीवन में अनुशासन और त्याग का पाठ पढ़ाते हैं।

2. माता सीता – आदर्श नारी का प्रतीक

  • स्वामी विवेकानंद ने माता सीता को शक्ति, धैर्य और पवित्रता की मूर्ति बताया।
  • वे उनके त्याग और सहनशीलता की सराहना करते थे और महिलाओं के लिए उन्हें प्रेरणा स्रोत मानते थे।

3. हनुमान – पूर्ण समर्पण और शक्ति का प्रतीक

  • वे हनुमान जी को भक्ति, साहस और शक्ति का आदर्श मानते थे।
  • उन्होंने युवाओं को हनुमान की तरह दृढ़ निश्चयी, निडर और सेवा भावी बनने की प्रेरणा दी।

4. रामायण – एक जीवन दर्शन

  • विवेकानंद के अनुसार, रामायण केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि एक जीवन पथ प्रदर्शक है
  • इसमें कर्तव्य, आदर्श, बलिदान, और समाज सेवा के सर्वोच्च आदर्श सिखाए गए हैं।

📚 स्वामी विवेकानंद के रामायण संबंधी विचार कहां पढ़ें?

यदि आप स्वामी विवेकानंद के रामायण पर विचार पढ़ना चाहते हैं, तो आप निम्नलिखित पुस्तकों का अध्ययन कर सकते हैं:

 यह पुस्तक या विचार क्यों पढ़ें?

भगवान राम के आदर्श चरित्र को समझने के लिए।
स्वामी विवेकानंद के दृष्टिकोण से रामायण का व्यावहारिक अर्थ जानने के लिए।
धर्म, भक्ति, और राष्ट्रभक्ति का सही स्वरूप जानने के लिए।
युवाओं के लिए हनुमान जी के प्रेरणादायक गुणों को अपनाने हेतु।

निष्कर्ष

स्वामी विवेकानंद ने रामायण को केवल एक पौराणिक कथा नहीं, बल्कि एक महान प्रेरणादायक ग्रंथ माना, जिसमें कर्तव्य, बलिदान, भक्ति और नेतृत्व के महत्वपूर्ण संदेश निहित हैं। उनका मानना था कि यदि हर व्यक्ति भगवान राम, माता सीता और हनुमान जी के गुणों को अपने जीवन में अपनाए, तो समाज और राष्ट्र का उत्थान संभव है

Swami Vivekananda did not write a book titled “Ramayan”, but he extensively discussed the Ramayana, Lord Rama, and the values depicted in the epic in his speeches and writings. His views on the Ramayana can be found in various books compiled from his lectures and works, such as:

  • “The Complete Works of Swami Vivekananda
  • “Lectures from Colombo to Almora”
  • “Practical Vedanta”

Swami Vivekananda’s Views on the Ramayana

  1. Symbolism of Lord Rama

    • Swami Vivekananda saw Lord Rama as the ideal human being (Maryada Purushottam)—a symbol of righteousness, duty, and unwavering devotion to truth.
    • He emphasized that Rama’s character teaches self-control, sacrifice, and dharma (righteousness).
  2. Sita as the Ideal Woman

    • Swami Vivekananda regarded Sita as the embodiment of strength, patience, and purity.
    • He praised her unshakable devotion and moral courage as a role model for women.
  3. Hanuman – The Perfect Devotee

    • He admired Hanuman as a symbol of devotion, humility, and strength.
    • Vivekananda often encouraged youth to be like Hanuman—fearless, strong, and dedicated.
  4. Ramayana as a Guide for Life

    • According to Swami Vivekananda, the Ramayana is not just a story but a guide on how to live a life of honor, duty, and devotion.
    • He emphasized selfless service, respect for elders, and upholding dharma even in adversity.

Where to Find His Thoughts on Ramayana?

If you’re interested in Swami Vivekananda’s insights on the Ramayana, you can explore:

  • “The Complete Works of Swami Vivekananda (available online & in book format).
  • His lectures on Hinduism, Indian culture, and dharma.
  • His discourses on Lord Rama, Sita, and Hanuman.

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