राजयोग – स्वामी विवेकानंद/Rajyog – Swami Vivekananda

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राजयोग – स्वामी विवेकानंद

परिचय:
“राजयोग” स्वामी विवेकानंद द्वारा लिखित एक महान ग्रंथ है, जिसमें योग के सर्वोच्च रूप, राजयोग का विस्तृत वर्णन किया गया है। यह ग्रंथ पतंजलि के योगसूत्रों पर आधारित है और ध्यान, मानसिक एकाग्रता तथा आत्म-साक्षात्कार की गूढ़ विधियों को सरल भाषा में समझाता है।

विषय-वस्तु:
स्वामी विवेकानंद इस पुस्तक में योग के विभिन्न अंगों, विशेष रूप से राजयोग, के महत्व को स्पष्ट करते हैं। इसमें ध्यान (मेडिटेशन), प्राणायाम, धारणा, ध्यान और समाधि के विषय में विस्तार से चर्चा की गई है। यह पुस्तक आत्म-विकास, आत्म-नियंत्रण और मानसिक शक्ति को जागृत करने की विधियाँ सिखाती है।

मुख्य बिंदु:

  • राजयोग क्या है और इसका उद्देश्य

  • ध्यान और आत्म-साक्षात्कार का महत्व

  • मन की शक्ति और उसे नियंत्रित करने के उपाय

  • आध्यात्मिक जागरूकता और आत्म-उन्नति के मार्ग

महत्व:
यह पुस्तक उन लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी है जो मानसिक शांति, आत्म-साक्षात्कार और ध्यान की गहराइयों को समझना चाहते हैं। स्वामी विवेकानंद ने इसे वैज्ञानिक और व्यावहारिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया है, जिससे हर व्यक्ति इसे अपने जीवन में लागू कर सकता है।

निष्कर्ष:
राजयोग” केवल एक पुस्तक नहीं बल्कि एक आध्यात्मिक मार्गदर्शिका है, जो योग और ध्यान के माध्यम से मनुष्य को आत्म-जागरण की ओर ले जाती है। यह आत्म-विकास और मानसिक शांति के पथ पर अग्रसर होने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए अत्यंत प्रेरणादायक ग्रंथ है।

Description

Rajyog – Swami Vivekananda

Introduction:
Raja Yoga” is a profound book written by Swami Vivekananda, which provides an in-depth explanation of the highest form of yoga—Raja Yoga. This book is based on Patanjali’s Yoga Sutras and elaborates on meditation, mental concentration, and self-realization in a simple yet powerful manner.

Content:
Swami Vivekananda explains the significance of different aspects of yoga, with a particular focus on Raja Yoga. The book covers meditation (dhyana), breath control (pranayama), concentration (dharana), and the ultimate state of self-realization (samadhi). It serves as a guide to self-discipline, self-control, and unlocking one’s inner potential.

Key Points:

  • Definition and purpose of Raja Yoga

  • Importance of meditation and self-awareness

  • Power of the mind and methods to control it

  • Path to spiritual awakening and self-elevation

Significance:
This book is highly beneficial for individuals seeking mental peace, self-realization, and a deeper understanding of meditation. Swami Vivekananda presents these teachings in a scientific and practical manner, making them accessible for everyone.

Conclusion:
Raja Yoga” is not just a book but a spiritual guide that leads an individual towards self-awakening through yoga and meditation. It is an inspiring text for those who wish to embark on the path of self-improvement and inner peace.

राजयोग – स्वामी विवेकानंद

परिचय:
“राजयोग” स्वामी विवेकानंद द्वारा लिखित एक महान ग्रंथ है, जिसमें योग के सर्वोच्च रूप, राजयोग का विस्तृत वर्णन किया गया है। यह ग्रंथ पतंजलि के योगसूत्रों पर आधारित है और ध्यान, मानसिक एकाग्रता तथा आत्म-साक्षात्कार की गूढ़ विधियों को सरल भाषा में समझाता है।

विषय-वस्तु:
स्वामी विवेकानंद इस पुस्तक में योग के विभिन्न अंगों, विशेष रूप से राजयोग, के महत्व को स्पष्ट करते हैं। इसमें ध्यान (मेडिटेशन), प्राणायाम, धारणा, ध्यान और समाधि के विषय में विस्तार से चर्चा की गई है। यह पुस्तक आत्म-विकास, आत्म-नियंत्रण और मानसिक शक्ति को जागृत करने की विधियाँ सिखाती है।

मुख्य बिंदु:

  • राजयोग क्या है और इसका उद्देश्य

  • ध्यान और आत्म-साक्षात्कार का महत्व

  • मन की शक्ति और उसे नियंत्रित करने के उपाय

  • आध्यात्मिक जागरूकता और आत्म-उन्नति के मार्ग

महत्व:
यह पुस्तक उन लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी है जो मानसिक शांति, आत्म-साक्षात्कार और ध्यान की गहराइयों को समझना चाहते हैं। स्वामी विवेकानंद ने इसे वैज्ञानिक और व्यावहारिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया है, जिससे हर व्यक्ति इसे अपने जीवन में लागू कर सकता है।

निष्कर्ष:
राजयोग” केवल एक पुस्तक नहीं बल्कि एक आध्यात्मिक मार्गदर्शिका है, जो योग और ध्यान के माध्यम से मनुष्य को आत्म-जागरण की ओर ले जाती है। यह आत्म-विकास और मानसिक शांति के पथ पर अग्रसर होने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए अत्यंत प्रेरणादायक ग्रंथ है।

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