Description
“रसखान रत्नावली” भक्त कवि रसखान द्वारा रचित काव्य रचनाओं का संकलन है। भारत में संत-कवियों की एक लंबी परंपरा रही है। भक्त कवियों की श्रेणी में रसखान का अनन्य स्थान है। उनका पूरा काव्य भगवान् श्रीकृष्ण को अर्पित है, जिन्हें वे अपना सखा, पथ-प्रदर्शक, आराध्य और मुक्तिदाता मानते रहे। रसखान ने अपनी रचनाएँ श्रीकृष्ण को केंद्र में रखकर लिखीं, मानो उनका प्रत्येक शब्द भेंट के रूप में उन्हें समर्पित कर दिया हो। काव्य-सृजन में उन्होंने न तो किसी विशेष परंपरा व अनुसरण किया, न ही अपनी परंपराएँ किसी पर थोपीं। उनके काव्य में संयोग और वियोग—दोनों रसों के विलक्षण दर्शन होते हैं। कहीं गोप-भाव से तो कहीं गोपी-भाव से उन्होंने अपने आराध्य भगवान् श्रीकृष्ण के साथ काव्य-रास किया है।
प्रस्तुत पुस्तक में रसखान का जीवन-परिचय एवं काव्य-रचनाओं का सार-संक्षेप दिया गया है, जो निश्चय ही पाठकों के लिए उपयोगी एवं ज्ञानवर्द्धक सिद्ध होगा।
🕉️ मुख्य विशेषताएँ:
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श्रीकृष्ण भक्ति से ओत-प्रोत रचनाएँ
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सरल, सरस एवं हृदयस्पर्शी भाषा
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ब्रज भाषा की मिठास
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आत्मिक प्रेम, समर्पण और विरह के गहरे भाव
🎯 उद्देश्य:
इस ग्रंथ का उद्देश्य पाठकों को रसखान की अमर भक्ति-कविताओं से परिचित कराना है, जिनमें उन्होंने एक अलौकिक प्रेम का वर्णन किया है जो जाति, धर्म और सीमा से परे है।
यह पुस्तक विशेषकर उन लोगों के लिए उपयोगी है जो भक्ति साहित्य, संत-काव्य और कृष्ण-लीला में रुचि रखते हैं।
Additional information
| Weight | 0.2 g |
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