योगसमन्वय /Yogasamanvaya

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 योगसमन्वय (स्वामी विवेकानंद)

“योगसमन्वय” स्वामी विवेकानंद द्वारा लिखित एक अद्भुत ग्रंथ है, जो भक्ति योग, ज्ञान योग, कर्म योग और राजयोग के बीच सामंजस्य स्थापित करता है। यह पुस्तक बताती है कि योग केवल साधना का एक रूप नहीं, बल्कि आत्म-साक्षात्कार का मार्ग है और सभी आध्यात्मिक पथ एक ही अंतिम सत्य की ओर ले जाते हैं।

पुस्तक की प्रमुख विशेषताएँ:

चार योगों का समन्वयभक्ति, ज्ञान, कर्म और राजयोग के माध्यम से मोक्ष प्राप्ति का मार्ग।
वैज्ञानिक दृष्टिकोणस्वामी विवेकानंद ने योग को तर्कसंगत, व्यावहारिक और वैज्ञानिक तरीके से समझाया है
आध्यात्मिक ज्ञान – यह पुस्तक दर्शाती है कि सभी धार्मिक मार्ग एक ही शाश्वत सत्य की ओर ले जाते हैं
आत्म-साक्षात्कार और व्यावहारिक आध्यात्मिकतायोग को दैनिक जीवन में कैसे अपनाएं, इस पर गहन विचार।
भारतीय दर्शन की आधारशिला – आधुनिक जीवन में वेदांत और योग के महत्व को उजागर करती है।

यह पुस्तक किनके लिए उपयोगी है?

योग साधकों और आध्यात्मिक जिज्ञासुओं के लिए – जो योग के गहरे अर्थ को समझना चाहते हैं।
वेदांत और स्वामी विवेकानंद के अनुयायियों के लिए – जो गूढ़ आध्यात्मिक ज्ञान की तलाश में हैं
विभिन्न योग मार्गों के अभ्यासियों के लिए – जो कर्म, भक्ति, ज्ञान और राजयोग का अभ्यास करते हैं

Description

 योगसमन्वय (स्वामी विवेकानंद)

“योगसमन्वय” स्वामी विवेकानंद द्वारा लिखित एक अद्भुत ग्रंथ है, जो भक्ति योग, ज्ञान योग, कर्म योग और राजयोग के बीच सामंजस्य स्थापित करता है। यह पुस्तक बताती है कि योग केवल साधना का एक रूप नहीं, बल्कि आत्म-साक्षात्कार का मार्ग है और सभी आध्यात्मिक पथ एक ही अंतिम सत्य की ओर ले जाते हैं।

पुस्तक की प्रमुख विशेषताएँ:

चार योगों का समन्वयभक्ति, ज्ञान, कर्म और राजयोग के माध्यम से मोक्ष प्राप्ति का मार्ग।
वैज्ञानिक दृष्टिकोणस्वामी विवेकानंद ने योग को तर्कसंगत, व्यावहारिक और वैज्ञानिक तरीके से समझाया है
आध्यात्मिक ज्ञान – यह पुस्तक दर्शाती है कि सभी धार्मिक मार्ग एक ही शाश्वत सत्य की ओर ले जाते हैं
आत्म-साक्षात्कार और व्यावहारिक आध्यात्मिकतायोग को दैनिक जीवन में कैसे अपनाएं, इस पर गहन विचार।
भारतीय दर्शन की आधारशिला – आधुनिक जीवन में वेदांत और योग के महत्व को उजागर करती है।

यह पुस्तक किनके लिए उपयोगी है?

योग साधकों और आध्यात्मिक जिज्ञासुओं के लिए – जो योग के गहरे अर्थ को समझना चाहते हैं।
वेदांत और स्वामी विवेकानंद के अनुयायियों के लिए – जो गूढ़ आध्यात्मिक ज्ञान की तलाश में हैं
विभिन्न योग मार्गों के अभ्यासियों के लिए – जो कर्म, भक्ति, ज्ञान और राजयोग का अभ्यास करते हैं

Yogasamanvaya by Swami Vivekananda

“Yogasamanvaya” (योगसमन्वय) is a remarkable book by Swami Vivekananda, which explains the harmony and unity of different paths of YogaBhakti Yoga, Jnana Yoga, Karma Yoga, and Raja Yoga. It presents a comprehensive understanding of Yoga as a means to attain self-realization and emphasizes that all spiritual paths lead to the same ultimate truth.

Key Highlights of the Book:

Integration of Four Yogas – Explains how Bhakti (devotion), Jnana (knowledge), Karma (action), and Raja Yoga (meditation) lead to liberation.
Scientific Approach to Yoga – Swami Vivekananda explains Yoga in a logical, practical, and scientific manner.
Spiritual Wisdom – Emphasizes that all religious paths are different expressions of the same eternal truth.
Self-Realization and Practical Spirituality – Guides on how to apply Yoga in daily life for personal and spiritual growth.
Foundation of Indian Philosophy – Highlights the importance of Vedanta and Yoga in modern life.

Who Should Read This Book?

For Yoga Enthusiasts & Spiritual Seekers – Those interested in understanding Yoga beyond physical postures.
For Followers of Vedanta & Swami Vivekananda – Ideal for those who seek deep spiritual wisdom.
For Practitioners of Different Yoga Paths – A must-read for anyone practicing Karma, Bhakti, Jnana, or Raja Yoga.

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