यजुर्वेद /Yajurveda

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यजुर्वेद यज्ञ -पूजन एवं कर्मकांड के बिधि विधान का ज्ञान (भाषा टीका )

यजुर्वेद सनातन धर्म का एक महत्त्वपूर्ण श्रुति धर्मग्रन्थ और चार वेदों में से एक है। इसमें यज्ञ की असल प्रक्रिया के लिए गद्य और पद्य मन्त्र हैं। ये हिन्दू धर्म के चार पवित्रतम प्रमुख ग्रन्थों में से एक है और अक्सर ऋग्वेद के बाद दूसरा वेद माना जाता है — इसमें ऋग्वेद के ६६३ मन्त्र पाए जाते हैं।

यजुर्वेद का अर्थ : यजुर्वेद शब्द यजुस + वेद इन दो शब्दों की संधि से बना है जिसमें यजु शब्द का अर्थ समर्पण से होता है। पदार्थ, जैसे (ईंधन, घी, आदि), कर्म (सेवा, तर्पण ), श्राद्ध, योग, इंद्रिय निग्रह आदि के हवन को समर्पण की क्रिया कहा गया है। यह ग्रंथ कर्मकाण्ड प्रधान हैं। इस वेद के अन्तर्गत यज्ञों तथा हवन के मंत्र शामिल हैं। इसमें आर्यों के सामाजिक तथा धार्मिक जीवन का सार प्राप्त होता है।

Description

यजुर्वेद यज्ञ -पूजन एवं कर्मकांड के बिधि विधान का ज्ञान (भाषा टीका )

यजुर्वेद सनातन धर्म का एक महत्त्वपूर्ण श्रुति धर्मग्रन्थ और चार वेदों में से एक है। इसमें यज्ञ की असल प्रक्रिया के लिए गद्य और पद्य मन्त्र हैं। ये हिन्दू धर्म के चार पवित्रतम प्रमुख ग्रन्थों में से एक है और अक्सर ऋग्वेद के बाद दूसरा वेद माना जाता है — इसमें ऋग्वेद के ६६३ मन्त्र पाए जाते हैं।

यजुर्वेद का अर्थ : यजुर्वेद शब्द यजुस + वेद इन दो शब्दों की संधि से बना है जिसमें यजु शब्द का अर्थ समर्पण से होता है। पदार्थ, जैसे (ईंधन, घी, आदि), कर्म (सेवा, तर्पण ), श्राद्ध, योग, इंद्रिय निग्रह आदि के हवन को समर्पण की क्रिया कहा गया है। यह ग्रंथ कर्मकाण्ड प्रधान हैं। इस वेद के अन्तर्गत यज्ञों तथा हवन के मंत्र शामिल हैं। इसमें आर्यों के सामाजिक तथा धार्मिक जीवन का सार प्राप्त होता है।

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