Description
मेरे प्रियतम’ कविता के बारे में जानकारीः
- ‘मेरे प्रियतम’ कविता का भाव पौराणिक कथा पर आधारित है.
- इस कविता में नारद जी को मोह हो जाता है और उन्हें लगता है कि वे भगवान विष्णु के सबसे प्रिय भक्त हैं.
- वे विष्णु लोक जाकर पूछते हैं कि कौन उनका सबसे प्रिय भक्त है.
- विष्णु जी उन्हें बताते हैं कि उनका सबसे प्रिय भक्त किसान है.
- नारद जी किसान की निगरानी में लग जाते हैं और देखते हैं कि किसान दिनभर में सिर्फ़ तीन बार ही भगवान का नाम लेता है.
- नारद जी विष्णु लोक लौट आते हैं और विष्णु जी से पूछते हैं कि किसान को भी उन्होंने ही काम दिया था, फिर भी उसने तीन बार नाम लिया.
- विष्णु जी कहते हैं कि किसान को भी मैंने ही काम दिया था, फिर भी उसने तीन बार नाम लिया.
- विष्णु जी कहते हैं कि अब तुम ही बताओ, कौन श्रेष्ठ.
- नारद जी लज्जित हो जाते हैं और यही कर्म का महत्व है.
‘प्रियतम’ शब्द का अर्थ है सबसे अधिक प्रिय या परम प्रिय. यह शब्द प्रिय शब्द में तम प्रत्यय लगाकर बना है. प्रियतम शब्द का इस्तेमाल आम तौर पर प्रेमी या पति के लिए किया जाता है. प्रियतम शब्द का स्त्रीलिंग प्रियतमा होता है
Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.
Reviews
There are no reviews yet.