मेरे नाथ! मेरे प्रभु/ Mere Nath! Mere Prabhu

25.00

नितांत वैराग्य स्वरूप, परमश्रद्धेय श्री स्वामीजी महाराज का यह विशेष निर्देश था कि कोई उनकी जीवनी न लिखे। यह संक्षिप्त परिचय “शाखा-चंद्र-न्याय” (एक पेड़ की शाखा के माध्यम से चंद्रमा की ओर इशारा करते हुए) के माध्यम से लिखा गया है, ताकि अधिक से अधिक लोग इस महान संत से परिचित होकर उनकी शिक्षाओं से लाभान्वित हो सकें।

Description

नितांत वैराग्य स्वरूप, परमश्रद्धेय श्री स्वामीजी महाराज का यह विशेष निर्देश था कि कोई उनकी जीवनी न लिखे। यह संक्षिप्त परिचय “शाखा-चंद्र-न्याय” (एक पेड़ की शाखा के माध्यम से चंद्रमा की ओर इशारा करते हुए) के माध्यम से लिखा गया है, ताकि अधिक से अधिक लोग इस महान संत से परिचित होकर उनकी शिक्षाओं से लाभान्वित हो सकें।

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