Description
“मेरे तो गिरधर गोपाल” एक भक्तिपूर्ण आध्यात्मिक रचना है, जो भगवान श्रीकृष्ण के प्रति पूर्ण समर्पण, प्रेम और निष्ठा की अद्भुत झलक प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक मुख्यतः भक्तिमार्ग पर आधारित है और विशेष रूप से उन साधकों के लिए उपयोगी है जो आत्मा और परमात्मा के बीच प्रेममय संबंध को अनुभव करना चाहते हैं।
पुस्तक का शीर्षक स्वयं मीरा बाई के उस भाव को दर्शाता है जहाँ उन्होंने संसार से संबंध तोड़कर केवल श्रीकृष्ण को ही अपना सर्वस्व मान लिया था — “मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई।”
🕉️ मुख्य विषयवस्तु:
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निश्छल भक्ति और ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण की व्याख्या
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मीरा बाई जैसे संतों की प्रेमभक्ति की झलक
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सांसारिक मोह से विरक्ति और परमात्मा में अनुरक्ति
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श्रीकृष्ण की महिमा और उनके साथ भक्त के संबंध की गहन चर्चा
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साधना, नामजप, संत-संग और सेवा का महत्व
👤 स्वामी रामसुखदास जी के बारे में:
स्वामी रामसुखदास जी भारतीय संत परंपरा के एक महान आचार्य थे। उन्होंने भगवद्गीता, भक्ति, कर्मयोग और साधना पर सरल भाषा में गूढ़ व्याख्यान दिए। उनकी पुस्तकें पाठकों को आत्मज्ञान, भक्ति और वैराग्य की ओर प्रेरित करती हैं।
📌 पुस्तक की विशेषताएँ:
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सरल, हृदयस्पर्शी भाषा में आध्यात्मिक ज्ञान
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प्रेम एवं भक्ति से ओतप्रोत विषयवस्तु
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सामान्य पाठकों और साधकों — दोनों के लिए उपयुक्त
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मन, बुद्धि, और आत्मा को शुद्ध करने वाला पाठ
यह पुस्तक एक ऐसा दीप है जो भटकती आत्मा को श्रीकृष्ण की ओर प्रकाश में ले जाता है। यह न केवल आध्यात्मिक प्रेरणा देती है, बल्कि जीवन को भगवान की भक्ति में रंगने की राह भी दिखाती है।
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