Description
मेरे गुरुदेव – स्वामी विवेकानंद
स्वामी विवेकानंद भारत के महान संत, विचारक और युवा प्रेरणा स्रोत थे। वे रामकृष्ण परमहंस जी के शिष्य थे और उन्होंने अपने गुरु को ही अपने जीवन का मार्गदर्शक माना। स्वामी विवेकानंद के लिए उनके गुरुदेव का स्थान ईश्वर के समान था।
स्वामी विवेकानंद और उनके गुरुदेव का संबंध
स्वामी विवेकानंद के जीवन में उनके गुरुदेव रामकृष्ण परमहंस का अत्यंत महत्व था। विवेकानंद जी जब जीवन के प्रश्नों और ईश्वर की खोज में भटक रहे थे, तब उन्होंने रामकृष्ण परमहंस से यह प्रश्न पूछा था —
“क्या आपने ईश्वर को देखा है?”
रामकृष्ण परमहंस ने उत्तर दिया —
“हाँ, मैंने ईश्वर को देखा है, ठीक वैसे ही जैसे मैं तुम्हें देख रहा हूँ, और मैं तुम्हें भी उनसे मिला सकता हूँ।”
यही उत्तर विवेकानंद के जीवन की दिशा बदल गया। वे रामकृष्ण परमहंस के शिष्य बन गए और उनके बताए मार्ग पर चलकर आध्यात्मिक ऊँचाइयों को प्राप्त किया।
स्वामी विवेकानंद के लिए उनके गुरुदेव का महत्व
स्वामी विवेकानंद अपने गुरुदेव को ही अपने जीवन का केंद्र मानते थे। उन्होंने कहा था —
“मेरे लिए मेरे गुरुदेव ही सब कुछ हैं — वही मेरा ज्ञान हैं, वही मेरा धर्म हैं, वही मेरा ईश्वर हैं।”
स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरु की शिक्षा को पूरे विश्व में फैलाया। रामकृष्ण परमहंस के विचारों और आध्यात्मिक संदेशों को अमेरिका और यूरोप तक पहुँचाया।
मुख्य शिक्षाएँ जो स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरुदेव से सीखी:
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आत्मा की शक्ति में विश्वास
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सेवा ही सच्चा धर्म है
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हर मनुष्य में ईश्वर का वास है
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गुरु के प्रति पूर्ण श्रद्धा और समर्पण
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जीवन का उद्देश्य आत्म-ज्ञान और दूसरों की सेवा है
निष्कर्ष
स्वामी विवेकानंद के लिए उनके गुरुदेव सिर्फ एक साधारण गुरु नहीं थे, बल्कि उनके जीवन के प्रेरणा स्रोत, मार्गदर्शक और भगवान स्वरूप थे। उन्होंने अपने जीवन के हर क्षण में अपने गुरु की शिक्षाओं को अपनाया और उसी के आधार पर एक नए भारत के निर्माण का सपना देखा।
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