मानस-मुक्ता/ Manas- Mukta

25.00

Description

काम, क्रोध, लोभ और मोह पर विजय प्राप्त करने वाला ही सही मायने में संत है। सुख और आनंद की प्राप्ति भगवत भजन से ही मिलेगी। काशी से आई मानस मुक्ता साध्वी लक्ष्मीमणि ने कहा कि कैकेयी सारे जगत में निंदनीय या फिर वंदनीय हैं, इस बारे में अब भी संशय है। लेकिन चित्रकूट की सभा में ऋषि वशिष्ठ और भरत की मौजूदगी में भगवान राम ने अंबा कैकेयी की सराहना की थी। कहा था कि मां कैकेयी ने उन्हें वनवास भेजते समय राष्ट्र मंगल और राम के जरिए जगत का कल्याण की बात सोचा होगा। कहा कि भरत ने कैकेयी के प्रति जो वचन कहे वह राम के प्रति अगाध प्रेम को प्रदर्शित करता है। जब कोई व्यक्ति किसी के प्रेम में भाव विह्वल हो जाता है तो उसके वाणी पर कोई नियंत्रण नहीं रह जाता।

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