Description
श्री मद्भगवद्गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि मानव जीवन का एकमात्र उद्देश्य आत्म-साक्षात्कार करना है। मनुष्य की आत्मा परम सत्य को जानने के बाद जीवन मुक्ति की अधिकारी हो जाती है और मनुष्य इस संसार समुद्र से पूर्णतया मुक्त होकर पुनः संसार चक्र में नहीं फँसता।
यह वास्तव में आत्म-उच्च बनाने की सीढ़ियों पर चर्चा करने वाली एक पढ़ने योग्य पुस्तक है। आशा है पाठक इससे लाभान्वित होंगे।
महान पाठकों से हमारा विनम्र अनुरोध है कि वे भी पढ़ें और दूसरों को भी पढ़ने और अनुसरण करने के लिए प्रेरित करें।
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