मातृदर्शन / Matridarshan

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स्वामी ब्रह्मेशानंद (Swami Brahmeshananda) रामकृष्ण मिशन के एक वरिष्ठ संन्यासी हैं, जिन्होंने आध्यात्मिकता, वेदांत और भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वे पूर्व में ‘वेदांत केसरी’ पत्रिका के संपादक रह चुके हैं, जो रामकृष्ण मिशन की एक प्रतिष्ठित मासिक पत्रिका है।

स्वामी ब्रह्मेशानंद ने विभिन्न धार्मिक और दार्शनिक विषयों पर प्रवचन दिए हैं। उनका एक हिंदी प्रवचन, जिसमें उन्होंने जैन धर्म के सिद्धांतों और रामकृष्ण परंपरा के साथ उनके संबंधों पर चर्चा की है, उपलब्ध है।

इसके अतिरिक्त, स्वामी ब्रह्मेशानंद ने ‘लाटू महाराज’ (स्वामी अद्भुतानंद) पर भी एक व्याख्यान दिया है, जो रामकृष्ण परमहंस के एक प्रमुख शिष्य थे। यह व्याख्यान रामकृष्ण अद्वैत आश्रम, वाराणसी द्वारा आयोजित किया गया था।

स्वामी ब्रह्मेशानंद की शिक्षाएं मुख्यतः वेदांत, भक्ति, और आत्मविकास पर केंद्रित हैं। उनकी शैली सरल, स्पष्ट और आध्यात्मिक अनुभवों से परिपूर्ण होती है, जो साधकों को आत्मनिरीक्षण और साधना के लिए प्रेरित करती है।

“मातृदर्शन” स्वामी ब्रह्मेशानंद द्वारा रचित एक आध्यात्मिक पुस्तक है, जो श्रीमाँ सारदा देवी के जीवन, शिक्षाओं और दिव्य व्यक्तित्व का गहन परिचय प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक विशेष रूप से श्रीमाँ की शतकोत्तर स्वर्णजयंती के अवसर पर उनके जीवन और उपदेशों के प्रचार-प्रसार हेतु प्रकाशित की गई थी।

📖 पुस्तक का सारांश

पुस्तक में श्रीरामकृष्ण परमहंस और श्रीमाँ सारदा देवी के आध्यात्मिक संबंधों को अग्नि और उसकी दाहिक शक्ति के रूप में वर्णित किया गया है, जो दर्शाता है कि वे दो रूप होते हुए भी एक ही परब्रह्म की अभिव्यक्तियाँ हैं। श्रीमाँ के जीवन में सीता, सावित्री, दमयंती आदि महान नारियों के सभी आदर्श विद्यमान हैं। वे न केवल पतिपरायणा सहधर्मिणी थीं, बल्कि सेवापरायण कन्या, स्नेहशील बहन, शिष्यवत्सला गुरु और करुणामयी मुक्तिदायिनी माँ के रूप में भी प्रकट होती हैं।

📘 Matridarshan – By Swami Brahmeshananda

“Matridarshan” is a spiritual book authored by Swami Brahmeshananda, which offers a profound insight into the life, teachings, and divine personality of Sri Sarada Devi, also known as the Holy Mother. The book was specially published to commemorate the Post-Centennial Golden Jubilee of the Holy Mother and aims to spread awareness of her message and ideals.


📖 Summary of the Book

The book describes the spiritual relationship between Sri Ramakrishna Paramahamsa and Sri Sarada Devi as akin to fire and its burning power – two distinct manifestations of the same Absolute Reality (Parabrahman).

Sri Sarada Devi’s life embodies the ideals of great Indian women like Sita, Savitri, and Damayanti. She was not only a devoted spiritual consort but also served many roles:

  • A dutiful daughter,

  • A loving sister,

  • A compassionate guru,

  • And a universal Divine Mother offering liberation to all.

The narrative portrays her simple, silent service, self-effacing nature, and profound spiritual insight that uplifted countless seekers.

Description

स्वामी ब्रह्मेशानंद (Swami Brahmeshananda) रामकृष्ण मिशन के एक वरिष्ठ संन्यासी हैं, जिन्होंने आध्यात्मिकता, वेदांत और भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वे पूर्व में ‘वेदांत केसरी’ पत्रिका के संपादक रह चुके हैं, जो रामकृष्ण मिशन की एक प्रतिष्ठित मासिक पत्रिका है।

स्वामी ब्रह्मेशानंद ने विभिन्न धार्मिक और दार्शनिक विषयों पर प्रवचन दिए हैं। उनका एक हिंदी प्रवचन, जिसमें उन्होंने जैन धर्म के सिद्धांतों और रामकृष्ण परंपरा के साथ उनके संबंधों पर चर्चा की है, उपलब्ध है।

इसके अतिरिक्त, स्वामी ब्रह्मेशानंद ने ‘लाटू महाराज’ (स्वामी अद्भुतानंद) पर भी एक व्याख्यान दिया है, जो रामकृष्ण परमहंस के एक प्रमुख शिष्य थे। यह व्याख्यान रामकृष्ण अद्वैत आश्रम, वाराणसी द्वारा आयोजित किया गया था।

स्वामी ब्रह्मेशानंद की शिक्षाएं मुख्यतः वेदांत, भक्ति, और आत्मविकास पर केंद्रित हैं। उनकी शैली सरल, स्पष्ट और आध्यात्मिक अनुभवों से परिपूर्ण होती है, जो साधकों को आत्मनिरीक्षण और साधना के लिए प्रेरित करती है।

“मातृदर्शन” स्वामी ब्रह्मेशानंद द्वारा रचित एक आध्यात्मिक पुस्तक है, जो श्रीमाँ सारदा देवी के जीवन, शिक्षाओं और दिव्य व्यक्तित्व का गहन परिचय प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक विशेष रूप से श्रीमाँ की शतकोत्तर स्वर्णजयंती के अवसर पर उनके जीवन और उपदेशों के प्रचार-प्रसार हेतु प्रकाशित की गई थी।

📖 पुस्तक का सारांश

पुस्तक में श्रीरामकृष्ण परमहंस और श्रीमाँ सारदा देवी के आध्यात्मिक संबंधों को अग्नि और उसकी दाहिक शक्ति के रूप में वर्णित किया गया है, जो दर्शाता है कि वे दो रूप होते हुए भी एक ही परब्रह्म की अभिव्यक्तियाँ हैं। श्रीमाँ के जीवन में सीता, सावित्री, दमयंती आदि महान नारियों के सभी आदर्श विद्यमान हैं। वे न केवल पतिपरायणा सहधर्मिणी थीं, बल्कि सेवापरायण कन्या, स्नेहशील बहन, शिष्यवत्सला गुरु और करुणामयी मुक्तिदायिनी माँ के रूप में भी प्रकट होती हैं।

📘 Matridarshan – By Swami Brahmeshananda

“Matridarshan” is a spiritual book authored by Swami Brahmeshananda, which offers a profound insight into the life, teachings, and divine personality of Sri Sarada Devi, also known as the Holy Mother. The book was specially published to commemorate the Post-Centennial Golden Jubilee of the Holy Mother and aims to spread awareness of her message and ideals.


📖 Summary of the Book

The book describes the spiritual relationship between Sri Ramakrishna Paramahamsa and Sri Sarada Devi as akin to fire and its burning power – two distinct manifestations of the same Absolute Reality (Parabrahman).

Sri Sarada Devi’s life embodies the ideals of great Indian women like Sita, Savitri, and Damayanti. She was not only a devoted spiritual consort but also served many roles:

  • A dutiful daughter,

  • A loving sister,

  • A compassionate guru,

  • And a universal Divine Mother offering liberation to all.

The narrative portrays her simple, silent service, self-effacing nature, and profound spiritual insight that uplifted countless seekers.

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