मां करुणामयी श्री सारदा देवी,/Maa Karunamayi Sri Sarada Devi 

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मां सारदा देवी ने अपना पूरा जीवन प्रेम, सेवा और समर्पण के माध्यम से मानवता के कल्याण के लिए समर्पित किया। वे रामकृष्ण मिशन की आध्यात्मिक नींव थीं और उनके अनुयायियों ने उन्हें “माँ” का स्थान दिया। उन्होंने जाति, धर्म और लिंग से परे सभी लोगों को समान रूप से अपनाया और प्रेम एवं सहिष्णुता का संदेश दिया।

मुख्य उपदेश:

  1. त्याग और सेवा: वे कहती थीं, “यदि तुम दूसरों की सेवा करते हो, तो वही भगवान की सेवा है।”

  2. सहनशीलता और प्रेम: उन्होंने कहा, “अगर तुम किसी को प्रेम नहीं कर सकते, तो कम से कम उसे चोट मत पहुँचाओ।”

  3. सरलता और आध्यात्मिकता: वे हमेशा सादगी और भक्ति में विश्वास रखती थीं।

विरासत:

माँ सारदा देवी का जीवन आज भी लाखों लोगों को प्रेरणा देता है। वे नारी शक्ति, करुणा और आत्मनिर्भरता का प्रतीक हैं। रामकृष्ण मिशन और उनके शिष्य उनकी शिक्षाओं को आगे बढ़ा रहे हैं।

क्या आप किसी विशेष पहलू पर अधिक जानकारी चाहते हैं?

Description

Maa Karunamayi Sri Sarada Devi 

Maa Sarada Devi, lovingly called Holy Mother, was the spiritual consort of Sri Ramakrishna Paramahamsa and a guiding force in the Ramakrishna Order. She was the embodiment of compassion, selfless service, and divine motherhood, embracing all with unconditional love and wisdom.

Brief Introduction:

Life and Teachings:

Maa Sarada Devi led a life dedicated to spiritual upliftment, selfless service, and universal love. She played a crucial role in supporting and continuing Sri Ramakrishna’s spiritual mission. Revered as the Divine Mother, she accepted devotees from all walks of life without discrimination and nurtured them with her infinite kindness.

Key Teachings:

  1. Service and Sacrifice: She emphasized, “If you want peace, do not see others’ faults. Learn to make the whole world your own.”

  2. Love and Patience: She advised, “If you cannot love someone, at least do not hurt them.”

  3. Simplicity and Devotion: Her life was an example of pure devotion, humility, and forbearance.

Legacy:

Maa Sarada Devi remains an eternal source of inspiration for millions worldwide. She exemplified divine motherhood, spiritual wisdom, and boundless compassion. The Ramakrishna Mission continues to spread her message of love, selflessness, and spiritual enlightenment.

Would you like more details on any specific aspect of her life?

मां करुणामयी श्री सारदा देवी, जिन्हें प्यार से “सारदा माँ” कहा जाता है, रामकृष्ण परमहंस की धर्मपत्नी और आध्यात्मिक सहयोगिनी थीं। वे सImplicity, सेवा और प्रेम की प्रतिमूर्ति मानी जाती हैं। उनका जीवन करुणा, त्याग और आध्यात्मिकता का अद्भुत उदाहरण है।

संक्षिप्त परिचय:

  • जन्म: 22 दिसंबर 1853, जयरामबाटी, पश्चिम बंगाल

  • पिता: रामचंद्र मुखोपाध्याय

  • माता: श्यामासुंदरी देवी

  • पति: श्री रामकृष्ण परमहंस

  • महाप्रयाण: 21 जुलाई 1920

जीवन एवं शिक्षाएँ:

मां सारदा देवी ने अपना पूरा जीवन प्रेम, सेवा और समर्पण के माध्यम से मानवता के कल्याण के लिए समर्पित किया। वे रामकृष्ण मिशन की आध्यात्मिक नींव थीं और उनके अनुयायियों ने उन्हें “माँ” का स्थान दिया। उन्होंने जाति, धर्म और लिंग से परे सभी लोगों को समान रूप से अपनाया और प्रेम एवं सहिष्णुता का संदेश दिया।

मुख्य उपदेश:

  1. त्याग और सेवा: वे कहती थीं, “यदि तुम दूसरों की सेवा करते हो, तो वही भगवान की सेवा है।”

  2. सहनशीलता और प्रेम: उन्होंने कहा, “अगर तुम किसी को प्रेम नहीं कर सकते, तो कम से कम उसे चोट मत पहुँचाओ।”

  3. सरलता और आध्यात्मिकता: वे हमेशा सादगी और भक्ति में विश्वास रखती थीं।

विरासत:

माँ सारदा देवी का जीवन आज भी लाखों लोगों को प्रेरणा देता है। वे नारी शक्ति, करुणा और आत्मनिर्भरता का प्रतीक हैं। रामकृष्ण मिशन और उनके शिष्य उनकी शिक्षाओं को आगे बढ़ा रहे हैं।

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