Description
भाईजी (श्रीहनुमानप्रसादजी” पोद्दार) -के कुछ व्यक्तिगत पत्रों का संग्रह लोक-परलोकका सुधार (दूसरा भाग) -के नाम से कुछ सप्ताहपूर्व प्रकाशित” हुआ था । उसी संग्रह का तीसरा भाग भी प्रेमी पाठक पाठिकाओं की सेवामें प्रस्तुत है। इस भागमें प्राय उन्हीं विषयोंका समावेश है जिनकी चर्चा पहले भागमें आ चुकी है। इस प्रकार यह तीसरा भाग दूसरा भागका ही एक प्रकारसे पूरक होगा। दोनों भागों को मिलाकर ही पढ़ना चाहिये । पुस्तक का” आकार बड़ा न हो इसीलिये पत्रों को दो भागों में विभक्त किया गया है। आशा है प्रेमी पाठक इस भाग को भी उसी चाव से पढ़ेंगे । मेरा विश्वास है कि जो लोग इन पत्रों को मननपूर्वक पढ़ेंगे और उनमें आयी हुई बातोंको अपने जीवन में उतारने की ईमानदारी के साथ चेष्टा करेंगे, उन्हें निश्चय ही महान् लाभ होगा और उन्हें” लोक-परलोक” दोनों का सुधार करने में यथेष्ट सहायता मिलेगी।
Additional information
Weight | 0.3 g |
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