मनु-स्मृति/ Manu Smriti

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मनुस्मृति भारतीय आचार-संहिता का विश्वकोश है, मनुस्मृति में बारह अध्याय तथा दो हजार पाँच सौ श्लोक हैं, जिनमें सृष्टि की उत्पत्ति, संस्कार, नित्य और नैमित्तिक कर्म, आश्रमधर्म, वर्णधर्म, राजधर्म व प्रायश्चित आदि विषयों का उल्लेख है।

(१) जगत् की उत्पत्ति

(२) संस्कारविधि, व्रतचर्या, उपचार

(३) स्नान, दाराघिगमन, विवाहलक्षण, महायज्ञ, श्राद्धकल्प

(४) वृत्तिलक्षण, स्नातक व्रत

(५) भक्ष्याभक्ष्य, शौच, अशुद्धि, स्त्रीधर्म

(६) गृहस्थाश्रम, वानप्रस्थ, मोक्ष, संन्यास

(७) राजधर्म

(८) कार्यविनिर्णय, साक्षिप्रश्नविधान

(९) स्त्रीपुंसधर्म, विभाग धर्म, धूत, कंटकशोधन, वैश्यशूद्रोपचार

(१०) संकीर्णजाति, आपद्धर्म

(११) प्रायश्चित्त

(१२) संसारगति, कर्म, कर्मगुणदोष, देशजाति, कुलधर्म, निश्रेयस।

मनुस्मृति में व्यक्तिगत चित्तशुद्धि से लेकर पूरी समाज व्यवस्था तक कई ऐसी सुंदर बातें हैं जो आज भी हमारा मार्गदर्शन कर सकती हैं। जन्म के आधार पर जाति और वर्ण की व्यवस्था पर सबसे पहली चोट मनुस्मृति में ही की गई है। सबके लिए शिक्षा और सबसे शिक्षा ग्रहण करने की बात भी इसमें है । स्त्रियों की पूजा करने अर्थात् उन्हें अधिकाधिक सम्मान देने, उन्हें कभी शोक न देने, उन्हें हमेशा प्रसन्न रखने और संपत्ति का विशेष अधिकार देने जैसी बातें भी हैं । राजा से कहा गया है कि वह प्रजा से जबरदस्ती कुछ न कराए । यह भी कहा गया कि प्रजा को हमेशा निर्भयता महसूस होनी चाहिए । सबके प्रति अहिंसा की बात की गई है ।

Description

मनुस्मृति भारतीय आचार-संहिता का विश्वकोश है, मनुस्मृति में बारह अध्याय तथा दो हजार पाँच सौ श्लोक हैं, जिनमें सृष्टि की उत्पत्ति, संस्कार, नित्य और नैमित्तिक कर्म, आश्रमधर्म, वर्णधर्म, राजधर्म व प्रायश्चित आदि विषयों का उल्लेख है।

(१) जगत् की उत्पत्ति

(२) संस्कारविधि, व्रतचर्या, उपचार

(३) स्नान, दाराघिगमन, विवाहलक्षण, महायज्ञ, श्राद्धकल्प

(४) वृत्तिलक्षण, स्नातक व्रत

(५) भक्ष्याभक्ष्य, शौच, अशुद्धि, स्त्रीधर्म

(६) गृहस्थाश्रम, वानप्रस्थ, मोक्ष, संन्यास

(७) राजधर्म

(८) कार्यविनिर्णय, साक्षिप्रश्नविधान

(९) स्त्रीपुंसधर्म, विभाग धर्म, धूत, कंटकशोधन, वैश्यशूद्रोपचार

(१०) संकीर्णजाति, आपद्धर्म

(११) प्रायश्चित्त

(१२) संसारगति, कर्म, कर्मगुणदोष, देशजाति, कुलधर्म, निश्रेयस।

मनुस्मृति में व्यक्तिगत चित्तशुद्धि से लेकर पूरी समाज व्यवस्था तक कई ऐसी सुंदर बातें हैं जो आज भी हमारा मार्गदर्शन कर सकती हैं। जन्म के आधार पर जाति और वर्ण की व्यवस्था पर सबसे पहली चोट मनुस्मृति में ही की गई है। सबके लिए शिक्षा और सबसे शिक्षा ग्रहण करने की बात भी इसमें है । स्त्रियों की पूजा करने अर्थात् उन्हें अधिकाधिक सम्मान देने, उन्हें कभी शोक न देने, उन्हें हमेशा प्रसन्न रखने और संपत्ति का विशेष अधिकार देने जैसी बातें भी हैं । राजा से कहा गया है कि वह प्रजा से जबरदस्ती कुछ न कराए । यह भी कहा गया कि प्रजा को हमेशा निर्भयता महसूस होनी चाहिए । सबके प्रति अहिंसा की बात की गई है ।

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