Description
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मधुर शब्द संस्कृत और हिंदी साहित्य में अत्यंत प्रिय, कोमल, सरस और आकर्षक अर्थों में प्रयुक्त होता है। इसका प्रयोग उन वस्तुओं, ध्वनियों, भावों या व्यवहारों के लिए किया जाता है जो मन को सुखद अनुभूति प्रदान करें।
👉 मधुर का सामान्य अर्थ:
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स्वाद में सुखद – जो मीठा या स्वादिष्ट हो (जैसे: मधुर फल, मधुर भोजन)
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स्वर या ध्वनि में मनोहारी – जैसे मधुर संगीत, मधुर वाणी
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भावों में कोमलता – जैसे मधुर व्यवहार, मधुर स्मृतियाँ
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दृष्टि या स्पर्श में आकर्षक – जैसे मधुर रूप या सौंदर्य
👉 उदाहरण:
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उसकी मधुर वाणी ने सभी का मन मोह लिया।
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राधा-कृष्ण की मधुर लीलाएँ भक्तों को भावविभोर कर देती हैं।
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मधुर स्मृति जीवन को प्रेरणा देती है।
👉 धार्मिक और भक्ति भाव में:
“मधुर” शब्द का प्रयोग अक्सर भगवान श्रीकृष्ण के लिए किया जाता है। भक्त कवि श्रीवल्लभाचार्य ने “मधुराष्टकम्“ में भगवान कृष्ण के प्रत्येक अंग, कार्य और नाम को “मधुर” कहा है —
“अधरं मधुरं वदनं मधुरं
नयनं मधुरं हसितं मधुरम्…”
इसका अर्थ है कि भगवान का हर पहलू — उनका मुख, हास्य, वाणी, चाल, लीला — सब कुछ मधुर है
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