Description
“भारत और उसकी समस्याएँ” – स्वामी विवेकानंद द्वारा एक विचारोत्तेजक ग्रंथ
“भारत और उसकी समस्याएँ” स्वामी विवेकानंद द्वारा भारत के सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक और राजनीतिक पहलुओं पर लिखित एक महत्वपूर्ण पुस्तक है। यह पुस्तक भारत की वास्तविक स्थिति, उसकी कमजोरियों और उनके समाधान पर प्रकाश डालती है। स्वामी जी ने इस पुस्तक में राष्ट्रवाद, शिक्षा, समाज सुधार और स्वावलंबन को विशेष रूप से महत्व दिया है।
पुस्तक की मुख्य विशेषताएँ
भारत का गौरवशाली अतीत
- भारत की प्राचीन संस्कृति, ज्ञान-विज्ञान और आध्यात्मिक विरासत का वर्णन।
- स्वामी विवेकानंद ने बताया कि भारत ने विश्व को धर्म, योग और वेदांत का ज्ञान दिया।
भारत की वर्तमान समस्याएँ (स्वामी जी के समय की दृष्टि से)
- अशिक्षा – शिक्षा की कमी के कारण सामाजिक और आर्थिक पिछड़ापन।
- गरीबी और आर्थिक विषमता – समाज में व्याप्त आर्थिक असमानता और निर्धनता।
- धर्म और समाज में बंधन – धार्मिक कट्टरता, अंधविश्वास और रूढ़ियों से ग्रसित समाज।
- नारी उत्पीड़न – महिलाओं की स्थिति सुधारने की आवश्यकता।
समस्याओं का समाधान
- शिक्षा का प्रचार-प्रसार – स्वामी जी ने कहा, “एक समाज को ऊपर उठाने के लिए शिक्षा सबसे बड़ा साधन है।”
- आत्मनिर्भरता और स्वावलंबन – उन्होंने भारतीय युवाओं को स्वदेशी उद्योग और आत्मनिर्भरता अपनाने की प्रेरणा दी।
- धर्म और सामाजिक सुधार – स्वामी जी ने सच्चे धर्म को अपनाने और अंधविश्वास को छोड़ने पर जोर दिया।
- नारी शिक्षा और सशक्तिकरण – उन्होंने महिलाओं की शिक्षा और स्वतंत्रता को आवश्यक बताया।
राष्ट्रवाद और युवा शक्ति का महत्व
- भारत के पुनर्निर्माण में युवाओं की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण।
- स्वामी विवेकानंद ने कहा – “उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।”
यह पुस्तक क्यों पढ़ें?
भारत की समस्याओं को समझने और उनके समाधान की प्रेरणा पाने के लिए।
राष्ट्रवाद और स्वामी विवेकानंद के भारत के प्रति दृष्टिकोण को जानने के लिए।
युवाओं को प्रेरित करने और आत्मनिर्भर बनने की सीख लेने के लिए।
समाज सुधार, शिक्षा और स्वदेशी विचारधारा को अपनाने के लिए।
निष्कर्ष
“भारत और उसकी समस्याएँ” केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि भारत के भविष्य के लिए एक मार्गदर्शक ग्रंथ है। स्वामी विवेकानंद ने शिक्षा, स्वावलंबन, सामाजिक सुधार और राष्ट्रवाद के माध्यम से भारत को पुनः जाग्रत करने का संदेश दिया।
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