भजन-संग्रह/ Bhajan Sangrah

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Description

 भक्त अंतःकरण से अपने इष्ट की उपासना में एवं उनके अलंकारिक छटा के वर्णन में, उनके ऐश्वर्यशाली स्वरूप की अर्चना तथा अपने दैत्य-समर्पण में भावात्मक गीतों का उद्गार ही भजन कहलाता है, जो ताल और लय के साथ मन को एकाग्र कर प्रभु के श्रीचरणों में निवेदित होकर आत्म-निवेदन बन जाता है। इस पुस्तक में साधकों के मन को प्रभु-लीला में तन्मयता के उद्देश्य से गोस्वामी श्रीतुलसीदासजी, मीराबाई, श्रीसूरदासजी आदि छाछठ भक्त सन्तों के भजनों का संकलन किया गया है। पुस्तक के अन्त में गोलोकवासी श्री हनुमानप्रसाद जी पोद्दार के पदों का संग्रह है।

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Weight 0.2 kg

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