भगवान के रहने के पाँच स्थान/ Bhagwan ke Rahne ke Panch Sthan

15.00

ब्रह्मलीना श्री जयदयाल गोयंदका द्वारा रचित यह छोटी शिक्षाप्रद पुस्तिका पांच दिव्य निवास (भगवान के पांच निवास स्थान) प्रस्तुत करते हुए हमें खुशी हो रही है।

पांच अलग-अलग गुणों के संदर्भ हैं;-

१. मुका चांडाल की (भौतिक धर्मपरायणता)

2. (स्त्री शुद्धता) शुभ की

3. (ब्रह्मचर्य) आद्रोहाक . के

4. (सच्चाई) तुलाधारा

5. (भगवान की भक्ति) द्वारा |वैष्णव।

ये पांच गुण सर्वोच्च भगवान के वास्तविक घर और पांच महान बलिदान हैं- इसी पर लेखक ने पुस्तिका में प्रकाश डाला है। इस पुस्तिका में शामिल एपिसोड श्री वेदव्यास द्वारा रचित पद्मपुराण से आते हैं।

यह वास्तव में आत्म-उच्च बनाने की पाँच सीढ़ियों पर चर्चा करने वाली एक पढ़ने योग्य पुस्तक है। आशा है पाठक इससे लाभान्वित होंगे।

Description

ब्रह्मलीना श्री जयदयाल गोयंदका द्वारा रचित यह छोटी शिक्षाप्रद पुस्तिका पांच दिव्य निवास (भगवान के पांच निवास स्थान) प्रस्तुत करते हुए हमें खुशी हो रही है।

पांच अलग-अलग गुणों के संदर्भ हैं;-

१. मुका चांडाल की (भौतिक धर्मपरायणता)

2. (स्त्री शुद्धता) शुभ की

3. (ब्रह्मचर्य) आद्रोहाक . के

4. (सच्चाई) तुलाधारा

5. (भगवान की भक्ति) द्वारा |वैष्णव।

ये पांच गुण सर्वोच्च भगवान के वास्तविक घर और पांच महान बलिदान हैं- इसी पर लेखक ने पुस्तिका में प्रकाश डाला है। इस पुस्तिका में शामिल एपिसोड श्री वेदव्यास द्वारा रचित पद्मपुराण से आते हैं।

यह वास्तव में आत्म-उच्च बनाने की पाँच सीढ़ियों पर चर्चा करने वाली एक पढ़ने योग्य पुस्तक है। आशा है पाठक इससे लाभान्वित होंगे।

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