भगवत्प्राप्ति की अमूल्य बातें/ Bhagwatprapti ki Amoolya Baten

20.00

Description

 कलयुग में बहुत-से भक्त हुए हैं। नरसीसूरदास तुलसीदास जीगौरांग महाप्रभु आदि जीवनी से प्रतीत होता है कि उनको भगवान् की प्राप्ति हुई थी। 

ईश्वर प्रेम से मिलते हैंइसमें कोई देशकाल बाधक नहीं है। भगवान् सभी जगह हैंवे सभी जगह मिल सकते हैं। यदि ऐसा होता कि भगवान् हरिद्वार में होते तो हरिद्वार में ही मिलते, लाहौरअमृतसर में नहींपरन्तु वे सब जगह हैं। उनके लिये कोई काल बाधक नहीं है। सतयुग में भगवान् का भजनध्यान करनेवाले अधिक थेतब कानून कड़ा था। अब जब भजन करने वाले कम हुए तो कानून भी हलका हो गया।

सबसे बढ़कर भगवान् का भजनध्याननाम का जप और सत्-पुरुषों का संग है। पानी का जलवाटरनीर कुछ भी कहो एक ही बात हैइसी प्रकार हरिरामअल्लाहगॉड एक ही बात है। भाषा अलग हैचीज वही है। हम को जो नाम अधिक रुचिकर हो वही हमारे लिये हितकर है। सभी भगवान् के नाम हैं।
जो निराकार के उपासक हों उनके लिये ॐ नाम बताया गया है। जो राम के उपासक हैं उनके लिए रामकृष्ण के उपासक हो उनके लिये कृष्ण नाम है। वस्तु से दो चीज नहीं हैकिन्तु एक ही सच्चिदानन्दघन परमात्मा कभी विष्णु रूप सेकभी राम रूप सेकभी कृष्ण रूप से प्रकट होते हैंवस्तु एक ही है। विष्णुसहस्रनाम में भगवान् विष्णु के एक हजार नाम लिखे हैं। चाहे जिस नाम से उन्हें पुकारो। जिसको जिस नाम से प्राप्ति होती हैवह उसी नाम को श्रेष्ठ बताते हैं। नाम सब भगवान् के ही हैं।

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