Description
इस पुस्तक में श्री जयदयाल गोयन्दका द्वारा लिखे विभिन्नलेखों का अनुपम संग्रह किया गया है।
गीताके तत्त्वको जाननेमात्रसे मुक्ति हो जाती है। जानना उसे कहते हैं- जैसे सत्य बोलना चाहिये। यह सुनकर हम झूठ न बोलें तो समझना चाहिये कि हम इस बातको जान गये. हमने सुना कि दूधमें जहर है। इस बातका हमको विश्वास हुआ तभी माना जायगा जब हम दूध न पीयें। पीते हैं तो हमारा उसमें विश्वास नहीं है।
Additional information
Weight | 0.2 kg |
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