Description
परम श्रद्धेय श्रीजयदयालजी गोयन्दकाका भगवान्में इतना प्रेम हुआ कि भगवान्ने उनके सामने प्रत्यक्ष प्रकट होकर साकाररूपसे दर्शन दिये । इसलिये वे जो बातें कहते हैं उनसे हमें कितना अधिक आध्यात्मिक लाभ हो सकता है, यह हम स्वयं विचार करें । श्रद्धेय श्रीगोयन्दकाजीका एकमात्र उद्देश्य हमलोगोंका जन्म मरणसे उद्धार करनेका था तथा जो आनन्द उन्हें मिला, वह हमें भी मिल जाय ।
सभी सदग्रन्थ इस बातपर प्रकाश डालते हैं और विशेषतासे प्रतिपादन करते हैं कि मनुष्य जीवनका एकमात्र उद्देश्य भगवत्प्राप्ति है । उपनिषद्, गीता, रामायण सभीमें यह बात विशेषतासे कही गयी है । इह चेदवेदीदथ सत्यमस्ति न चेदिहावेदीन्महती विनष्टि । यदि इस मनुष्य जीवनमें परमात्मतत्त्वको जान लिया तो ठीक है नहीं तो महान् हानि है ।
Additional information
Weight | 0.2 kg |
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