भक्ति-रहस्य/ Bhakti Rahassya

45.00

यह पुस्तक महामहोपाध्याय पं. गोपीनाथ कविराज के ‘कल्याण’ में प्रकशित लेखों का संग्रह है जिसे पुस्तकाकार करने का उद्देश्य यह है कि श्री कविराज जी के विचारों से वर्तमानकाल के लोग परिचित हों और उससे लाभ उठायें| उनके जीवन का लक्ष्य था- भारतीय संस्कृति के लुप्तप्राय तत्वों भक्ति, योग विद्या और प्राचीन साधना जिसे लोग संदेह की दृष्टी से देखने लगे थे का यथार्थ स्वरुप प्रस्तुत करना| उन्होंने भक्ति, योग विद्या और तंत्रशास्त्र के कुछ गुह्य आयामों का प्रस्तुतिकरण किया|

Description

यह पुस्तक महामहोपाध्याय पं. गोपीनाथ कविराज के ‘कल्याण’ में प्रकशित लेखों का संग्रह है जिसे पुस्तकाकार करने का उद्देश्य यह है कि श्री कविराज जी के विचारों से वर्तमानकाल के लोग परिचित हों और उससे लाभ उठायें| उनके जीवन का लक्ष्य था- भारतीय संस्कृति के लुप्तप्राय तत्वों भक्ति, योग विद्या और प्राचीन साधना जिसे लोग संदेह की दृष्टी से देखने लगे थे का यथार्थ स्वरुप प्रस्तुत करना| उन्होंने भक्ति, योग विद्या और तंत्रशास्त्र के कुछ गुह्य आयामों का प्रस्तुतिकरण किया|

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